पटनाः कोयले की कमी (Coal Crisis) का असर देश के कई राज्यों में दिखने लगा है, जिसमें बिहार भी शामिल है. बिहार के कई जिलों में घंटों बिजली गुल (Power Crisis in Bihar) होने की समस्या शुरू हो गई है. राज्य के मुखिया नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने यह कबूल किया है कि बिजली की समस्या उत्पन्न हुई है. मुख्यमंत्री ने यह बताया कि एनटीपीसी (NTPC) या फिर प्राइवेट कंपनियों से जो बिजली ली जाती थी. इन कंपनियों से जितना आपूर्ति का प्रावधान था वो नहीं हो पा रहा है. इसके चलते समस्या आई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि सिर्फ बिहार की यह स्थिति नहीं है, बल्कि कई अन्य राज्यों की भी यही स्थिति है.
यह भी पढ़ें- बिहार में बिजली संकटः CM नीतीश ने भी माना- 'समस्या तो है.. बाहर से महंगे दर पर हो रही आपूर्ति'
बता दें कि कोरोना काल के बाद बिजली की खपत भी काफी बढ़ी हुई है. देश और दुनिया में काफी तेजी से बिजली की मांग बढ़ी है. इसे पूरा करने में केंद्र और राज्य सरकार के पसीने छूट रहे हैं. सामान्य दिनों में 6000 मेगावाट तक बिजली आपूर्ति की जाती है. लेकिन दुर्गा पूजा होने के कारण 6500 से लेकर 7000 मेगावाट तक खपत बढ़ गया है.
इसका सीधा असर राज्य के ग्रामीण इलाकों में पड़ने लगा है. ग्रामीण इलाकों में पांच घंटे तक बिजली गुल होने की शिकायत मिलने लगी है. और कई गांव अंधेरे में डूबे रह रहे हैं. उत्तर बिहार के इलाकों में सबसे ज्यादा परेशानी उत्पन्न होने लगी है. बिहार को जहां 5000 मेगावाट बिजली की जरूरत है, वहां 3200 मेगावाट बिजली मिल रही है. जिस कारण से यह समस्या उत्पन्न हो रही है. हालांकि राज्य सरकार इसकी पूर्ति के लिए महंगे दर से बिजली खरीदारी कर आपूर्ति करने में जुटी हुई है.
पिछले कई सालों से बिहार सरकार लोगों के घर-घर तक बिजली पहुंचाने में बेहतर भूमिका निभायी है. बिजली उपभोक्ताओं को भी काफी सहूलियत मिली है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को 22 घंटे तक बिजली उपलब्ध कराया जाता रहा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो बिहार को जितनी बिजली की जरूरत है, उतनी बिजली नहीं मिल पा रही है. एनटीपीसी से 4500 मेगावाट बिजली मिलती थी, अब मात्र 3000 मेगावाट बिजली ही मिल रही है.
'बिहार में अधिक दामों में बिजली खरीद कर लोगों को आपूर्ति की जा रही है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द बिहार नॉर्मल स्थिति में आ जाएगा. विभाग पूरी तरह से प्रयासरत है. अभी फिलहाल एनटीपीसी को छोड़ कर कुछ दूसरे प्राइवेट जगहों से बिजली ली जा रही है. कुछ कुछ इलाकों में घंटों बिजली गुल रह रही है. कुछ तकनीकी प्रॉब्लम के कारण भी परेशानी हो रही है. कोयले की कमी के कारण देशभर में विद्युत उत्पादन में कमी आई है. लेकिन बिहार पर उसका कोई असर नहीं है.'-संजीव हंस, सचिव, ऊर्जा विभाग
ये भी पढ़ेंःबिजली संकट पर बोले तेजस्वी- 'डबल इंजन सरकार से ट्रिपल नुकसान.. हर क्षेत्र में ट्रबल ही ट्रबल'
ऊर्जा विभाग के सचिव ने बताया कि बिहार को एनटीपीसी से 4500 मेगावाट बिजली मिलती रही है. हालांकि अभी 3000 मेगावाट बिजली ही मिल रही है. निजी कंपनियों से भी लगभग 700 मेगावाट के बदले 400 मेगावाट बिजली मिल रही है. हालांकि बाजार में भी बिक्री के लिए बिजली की उपलब्धता कम रह गई है. ऐसे में इसकी दर 20 रुपए प्रति यूनिट तक चली गयी है. उसको बिहार सरकार खरीदारी कर लोगों को आपूर्ति करने में जुटी हुई है. लोगों को परेशानी नहीं होने दी जाएगीय हर संभव प्रयास किया जा रहा है.
आज की परिस्थिति को देखते हुए यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जब कोयला धरती से खत्म हो जाएगा, तो बिजली एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आएगी. इसके लिए सरकार को अभी से तैयार रहने की जरूरत है. क्योंकि हम सभी जानते हैं कोयला और बिजली नांद्रे नोबल सोर्स ऑफ एनर्जी है. इसलिए सरकार को चाहिए कि हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी पावर प्लांट के अलावा स्रोतों से बिजली का उत्पादन करें. साथ ही बिहार के लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है. ताकि वह अधिक से अधिक सौर ऊर्जा को इस्तेमाल करें. बिहार में हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी से भी बिजली बनाने के बहुत सारे विकल्प हैं. अब सरकार को ध्यान देना है कि इन स्रोतों से बिजली उत्पादन करें. ताकि देश में और बिहार में बिजली की समस्या उत्पन्न ना हो.
जानकारी दें कि तीन से चार दिन पहले दिल्ली में पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी टाटा पावर ने लोगों को कटौती का संदेश भेज दिया था कि अघोषित कटौती जारी है. राजस्थान के जयपुर और पंजाब के पटियाला जैसे शहरों में 4-4 घंटे की बिजली कटौती शुरू हो गई थी. यूपी समेत पूरे देश में भी किल्लत का असर दिखने लगा था. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर पावर प्लांट्स को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति की मांग की थी.