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सांसद निधि को लेकर हंगामा है क्यों बरपा? जानिए क्या है पक्ष-विपक्ष और एक्सपर्ट की राय - politics on use of MP funds

सांसदों को क्षेत्र विकास के लिए मिलने वाले सांसद निधि का इस्तेमाल कोरोना से निपटने के किए जाने के फैसले को लेकर हंगामा पसरा है. एक तरफ विपक्ष इसपर सवाल उठा रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल विपक्ष के मंसूबे को कटघरे में खड़ा कर रहा है. देखें रिपोर्ट...

सांसद निधि
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Published : May 30, 2021, 10:44 AM IST

पटनाःदेश अभी कोरोना संकट (Corona Crisis) से जूझ रहा है. इस महामारी से निपटने के लिए केंद्र और बिहार की सरकार के द्वारा कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र ने जहां सांसद निधि (MP Fund) को कोरोना केयर फंड में डालने का फैसला लिया है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी सांसदों को क्षेत्र में खर्च करने के लिए 5 करोड़ की राशि आवंटित नहीं की जाएगी. सरकार के इस फैसले के बाद घमासान मचा है.

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कब हुई थी योजना की शुरुआत?
दरअसल, नरसिम्हा राव ने 23 दिसंबर, 1993 को सांसदों के लिए वार्षिक निधि का प्रस्ताव रखा था. जो काफी बहस के बाद आखिरकार पारित हो गया था. इसके बाद से 27 साल से यह योजना चलती आ रही है. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस राशि का इस्तेमाल कोरोना से निपटने में करने का फैसला किया है. शुरुआत में सांसद निधि योजना के तहत सांसद हर साल एक करोड़ रुपये का काम अपने क्षेत्र में करवा सकते थे. 1997-98 में रकम बढ़कर दो करोड़ सालाना हो गई.

2011-12 में राशि हुई सालाना 5 करोड़
2011-12 में जब यूपीए 2 को दो साल बीत गए थे, तब सांसद निधि को बढ़ाकर पांच करोड़ सालाना कर दिया था, जो अब भी बरकरार है. केंद्र सरकार का वित्त आयोग इस योजना की देखभाल करता रहा है और इसके लिए पैसे जुटाता रहा है. साल 2018 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने इस योजना के बारे में बात की थी और तय किया था कि 14वें वित्त आयोग तक यह योजना लगातार चलती रहेगी. 31 मार्च, 2020 को 14वें वित्त आयोग का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही कोरोना संकट ने दस्तक दे दिया जिसके बाद सरकार ने सांसद निधि के पैसे को कोरोना मद में डालने का फैसला लिया.

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सांसद निधि पर क्या है प्रावधान?
साल 2019 के सांसद निधि की राशि को लेकर सांसदों ने जब हंगामा किया तो सरकार ने सांसदों को ढाई करोड़ रुपए क्षेत्र में खर्च करने के प्रावधान कर दिया. लेकिन शर्त यह रख दी गई कि रकम कोरोना से निपटने में खर्च किए जाए. बिहार के तमाम सांसद सांसद निधि का इस्तेमाल स्वास्थ्य संबंधी उपकरण खरीदने में कर रहे हैं. साल 2019 के बाद से अगले 3 साल तक सांसद अपने निधि का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.

कई सांसद नहीं कर पाते निधि का इस्तेमाल
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी डेटा के अनुसार साल 2014 के बाद से 543 में से केवल 35 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में ही सांसद निधि का इस्तेमाल कर स्वीकृत प्रॉजेक्ट पूरे किए गए .

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सांसद निधि को लेकर हंगामा क्यों?
बिहार में सांसद निधि के साथ-साथ विधायक और विधान पार्षद निधि को भी सरकार ने कोरोना से निपटने में खर्च करने का फैसला लिया है. सरकार के फैसले पर राजद लगातार ऐतराज जता रहा है. पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि सांसद निधि के पैसे का इस्तेमाल कहां हुआ है, यह किसी को पता नहीं चल रहा है. सरकार भी बता पाने में सक्षम नहीं है. कोरोना के नाम पर पैसों का बंदरबांट हो रहा है.

राजद उपाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी का कहना है कि पहले भी ऐसा कई बार हुआ है कि संकट की स्थिति में सांसद निधि के कुछ अंश लिए जाते थे, लेकिन पिछले कुछ साल से पूरे निधि को ही खत्म कर दिया जा रहा है .

भाजपा ने किया पलटवार
विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता डॉ राम सागर सिंह ने कहा है कि विपक्ष के नेताओं को जनता के विकास से ज्यादा चिंता अपने विकास की है. इसलिए सांसद निधि पर वह जोर दे रहे हैं. सरकार के लिए महामारी से निपटना प्राथमिकता है.

'महामारी और विकास दोनों का रहे ख्याल'
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि बिहार एक पिछड़ा प्रदेश है और बिहार जैसे राज्यों के विकास के लिए सांसद निधि एक महत्वपूर्ण कड़ी है. सांसद निधि का इस्तेमाल महामारी से निपटने के लिए तो किया जाना चाहिए लेकिन विकास कार्य भी चलता रहे यह भी सरकार को ध्यान में रखना चाहिए.

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