पटना:बिहार की राजनीति नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), एनपीआर और एनआरसी के इर्द-गिर्द घूम रही है. एनपीआर और एनआरसी को लेकर बिहार के कई नेता यात्रा भी कर चुके हैं. वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए विपक्षी दलों के तमाम मंसूबों पर पानी फेर दिया.
एनपीआर और एनआरसी को लेकर बिहार में घमासान है. राजनीतिक दल लगातार सड़क से लेकर सदन तक हंगामा कर रहे थे. कई नेता यात्रा कर रहे हैं और कुछ निकलने की तैयारी में थे. ऐसे में एनपीआर में संशोधन और बिहार विधानसभा में प्रदेश में एनआरसी लागू नहीं होने का प्रस्ताव सीएम नीतीश ने रखा, जो सर्वसम्मति से पास हो गया. इससे राजनीतिक पंडित भी हैरान रह गए.
लार्जर फ्रंट बनाने की मुहिम पर लगा विराम
- चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पवन वर्मा लगातार नीतीश कुमार पर हमले बोल रहे थे.
- सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर दोनों नेताओं की नाराजगी थी. नीतीश कुमार ने आखिरकार वही फैसला लिया जिस बात की वकालत दोनों नेता कर रहे थे.
- महागठबंधन नेता भी लगातार सड़क से लेकर सदन तक हंगामा कर रहे थे.
- सदन की कार्यवाही पर भी हंगामा का असर पड़ रहा था.
- वाम नेता कन्हैया कुमार 27 फरवरी को रैली करने की तैयारी कर रहे थे,
- प्रशांत किशोर एनपीआर और एनआरसी को लेकर जनता के बीच जाने वाले थे.
- नीतीश कुमार के फैसले ने सबकी मुहिम पर पानी फेर दिया.
- प्रशांत किशोर बिहार में लार्जर फ्रंट बनाने की मुहिम में लगे थे.
तेजस्वी यादव बेरोजगारी यात्रा पर निकलने की तैयारी में है और वह भी सरकार पर एनपीआर और एनआरसी को लेकर लगातार हमले बोल रहे थे. यात्रा से पहले ही नीतीश कुमार ने सदन में प्रस्ताव पारित कर तमाम राजनीतिक संभावनाओं पर विराम लगा दिया और अपनी खिसक रही अल्पसंख्यक वोटों को भी इंटैक्ट कर लिया.