पटना:बिहार में नए परिवहन अधिनियम को लेकर सवाल उठने लगे हैं. गुजरात सरकार द्वारा अमेंडमेंट किए जाने के बाद से बिहार में भी सियासी पारा चढ़ गया है. भारी भरकम जुर्माने की राशि को लेकर राजनीतिक दलों ने सवाल खड़े किए हैं. सरकार भी फिलहाल बैकफुट पर दिखाई दे रही है.
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. तभी से गुजरात मॉडल और बिहार मॉडल को लेकर बिहार में सियासत होती रही है. गुजरात में शराबबंदी पहले की गई थी. बाद में फिर बिहार में भी शराब बंदी कानून लागू हो गई. लेकिन नए मोटर वाहन अधिनियम को लेकर भी बिहार में गुजरात मॉडल लागू करने की मांग उठने लगी है.
भारी जुर्माना से परेशान आमजन
केंद्र सरकार द्वारा पारित मोटर वाहन अधिनियम 2019 बिहार में लागू किया जा चुका है. प्रशासन पूरे मुस्तैदी के साथ मोटर वाहन अधिनियम को लागू कर रहा है, और लोगों को भारी-भरकम जुर्माना भी किया जा रहा है. जुर्माने की राशि का बोझ गरीब जनता पर भी पड़ रहा है. राजनीतिक दलों ने एक सुर में जुर्माने की राशि को कम करने के लिए आवाज उठाई है.
राजद ने ली चुटकी
राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को उनके ही गृह राज्य में नहीं माना जा रहा है. और ऐसा इसलिए हो रहा है कि वहां के मुख्यमंत्री यह समझते हैं कि यह प्रधानमंत्री का गृह राज्य है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि जुर्माने की राशि कई बार हास्यास्पद हो जाती है और गाड़ी की कीमत से ज्यादा सरकार जुर्माने की राशि वसूल कर लेती है.