पटना: बिहार की राजनीति में अबमदरसे ( Political Wrangling In Bihar NDA Over Madrasa ) को लेकर उबाल है. इस मुद्दे को लेकर भाजपा नेता आक्रमक हैं. पार्टी नेता लगातार आरोप लगा रहे हैं कि, मदरसे में आतंक ( BJP On Madrasa ) की पाठशाला चलाई जाती है. भाजपा नेताओं के बयान के बाद एनडीए में घमासान है. इस पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल आमने-सामने आ गए हैं.
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बिहार सरकार मदरसों के रख रखाव पर हर साल करोड़ों रुपए का खर्च करती है. राज्य के अंदर बड़ी संख्या में और मदरसे खोले जाने की योजना है. सरकार की इस पहल पर बीजेपी (Politics On Madrasa In Bihar) को ऐतराज है. भाजपा ने मदरसे को दिए जाने वाले आर्थिक सहायता पर सवाल खड़े किए हैं. अब इसे लेकर भाजपा, जदयू और हम आमने-सामने है. भाजपा ने मदरसों में देश विरोधी गतिविधियां चलाए जाने की बात कही है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि, मदरसे में हिंदुत्व के विरोध में बच्चों को भड़काया जाता है. सरकार द्वारा मदरसों को मिल रही आर्थिक सहायता पर भी पार्टी नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं.
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भाजपा नेता और बिहार सरकार के वन पर्यावरण मंत्री नीरज बबलू ने मदरसे को मिल रहे आर्थिक सहायता पर सवाल खड़े किए हैं. मंत्री ने कहा था कि, मदरसों में चल रहे गतिविधियों की जांच होनी चाहिए और जो आर्थिक सहायता मिल रही है उसकी भी जांच कराई जानी चाहिए.
वहीं भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर भी मंत्री नीरज बबलू के पक्ष में उतर आए हैं. हरी भूषण ठाकुर ने कहा कि, मदरसों में आतंक की पढ़ाई की जाती है. वहां से डॉक्टर या इंजीनियर नहीं निकलते हैं. मदरसों में चल रही गतिविधियों पर सरकार को नजर रखनी चाहिए और जांच भी कराई जानी चाहिए.
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भाजपा नेताओं के बयान का हम पार्टी की तरफ से प्रतिवाद किया गया है. हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि, मदरसों में संस्कार और शिक्षा दिया जाता है. बिहार के वर्तमान मुख्य सचिव और पंजाब के पूर्व डीजीपी भी मदरसे से पास आउट हैं और वह टॉप पर पहुंचे हैं. भाजपा नेताओं को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए.
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान का कहना है कि, मदरसों में शिक्षा संस्कार और राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाया जाता है. हमारे साथी जो आरोप लगा रहे हैं वह निराधार है. मैं तो चाहूंगा कि वह हमारे साथ चलें और चल कर देखें कि, किस तरीके से मदरसों का संचालन होता है और किस तरीके की शिक्षा दी जाती है.मदरसे को बदनाम करना ठीक नहीं है.
आपको बता दें कि, मदरसों के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को शिक्षा दी जाती है. बिहार में कुल मिलाकर 4000 से भी अधिक मदरसे हैं जिसमें 1942 को सरकारी सहायता प्राप्त है. मदरसों में लगभग 15 लाख छात्र पढ़ते हैं. बिहार सरकार कुल 483 करोड़ सालाना खर्च भी करती है. बिहार में 10,000 से ज्यादा मदरसा खोले जाने की योजना भी है. सरकार इस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है.
दरअसल, इसके पहले शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने भी कहा था कि, मदरसों में बच्चों को शिक्षा दिया जाता है और वहां से बच्चे शिक्षित होकर निकलते हैं. असम की सरकार ने वहां के मदरसों को स्कूलों के रूप में बदलने का निर्णय लिया है. इसपर बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री नीरज कुमार बबलू और श्रम मंत्री जीवेश मिश्रा ने मदरसा की शिक्षा पर सवाल खड़े किए थे. और कहा था कि, मदरसोंं में देश विरोधी शिक्षा दी जाती है. एक धर्म विशेष के प्रति बच्चों के मन में जहर भरा जाता है. नीरज कुमार बबलू ने कहा कि सरकारी खर्च पर चलने वाले मदरसों में सामान्य स्कूलों की तरह शिक्षा दी जाए. वहां मौलवी ही क्यों हिंदू शिक्षक भी पढ़ाएं.
वहीं बांका ब्लास्ट के बाद से बीजेपी के कई नेता मदरसों पर हमलावर हैं. जून 2021 को मांझी ने ट्वीट के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा था. मांझी ने कहा था कि, नेताओं को अपनी छोटी मानसिकता बदलनी होगी तभी भारत अखंड भारत बन सकता है. दरअसल मांझी का ये ट्वीट बीजेपी विधायक की तरफ से मदरसा विस्फोट को लेकर दिए गए बयान पर सामने आया है. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने इससे पहले भी कहा था कि, मदरसे में सिर्फ आतंकी की पढ़ाई की जाती है.
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