पटना: लॉकडाउन में फंसे बिहार प्रवासियों के वापस आने का सिलसिला शुरू हो चुका है. अभी भी बड़ी बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर कोरोना वायरस के खौफ के चलते अपने घर वापस लौटना चाहते हैं. लेकिन या तो उनके पास आने के लिए संसाधन नहीं हैं या फिर राज्य सरकारें उन्हें अब से जबरन रोकने के प्रयास कर रही है. मजदूरों के हालात को लेकर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है. विपक्ष ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
'संविधान किसी को जबरदस्ती की इजाजत नहीं देता'
कर्नाटक मे मजदूरों के ट्रेन रोके जाने के मामले को लेकर राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई विरेंद्र ने कहा कि भाजपा शासित राज्य मजदूरों के साथ जबरदस्ती कर रही हैं. जो मजदूर वापस लौटना चाह रहे हैं उन्हें जबरदस्ती लौटने नहीं दिया जा रहा है. सीएम नीतीश कुमार की मौन भी सहमति ही है. नीतीश कुमार को इस बात का डर है कि अगर मजदूर आ जाएंगे तो उनके खिलाफ वोट करेंगे.
भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को किया खारिज
भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव ने कहा है. संविधान किसी को जबरदस्ती रोकने की इजाजत नहीं देता.जो मजदूर वापस आना चाहेंगे, वे जरूर वापस आएंगे. उन्हें कोई रोक नहीं सकता. कुछ राज्य की सरकारें मजदूरों से अनुरोध कर रही है. कर्नाटक की सरकार भी मजदूरों से वापस नहीं जाने का आग्रह कर रही है. इस मामले पर बेवजह राजनीति की जा रही है. उन्होंने बताया कि मजदूरों के घर वापसी के लिए राज्य सरकार कार्य कर रही है.
नवल किशोर यादव, भाजपा नेता क्या है मामला?
मजदूरों की कमी को दखते हुए कर्नाटक की सरकार ने स्पेशल ट्रेन चलाने पर इनकार कर दिया था. मामला प्रकाश में आते ही विपक्ष ने कर्नाटक की सरकार पर हमला बोल दिया. विपक्ष ने कहा कि सरकार प्रवासी मजदूरों के साथ बंधुआ मजदूर जैसे बर्ताव कर रही है. बता दें कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी प्रवासी मजदूरों से अपील कर चुकें है. उन्होंने कहा है कि मजदूर कर्नाटक में ही रुक जाएं, अपने घर न जाएं क्योंकि प्रदेश में निर्माण और औद्योगिक काम शुरू होने वाले हैं.