पटना:बिहार की तरह ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अकेले चुनाव लड़ने जा रही है. चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को चुनाव चिन्ह भी आवंटित हो चुका है. लोक जनशक्ति पार्टी (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष औरजमुई सांसद चिराग पासवान(chirag paswan to contest up election 2022 alone) ने कहा है कि, पार्टी ने संगठन को मजबूत करने को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.
चिराग पासवान ने कहा कि, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पहले भी हमारी पार्टी के विधायक रह चुके हैं और हमारा संगठन मजबूत है. उत्तराखंड की सभी सीटों पर और उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी चुनाव लड़ेगी. पार्टी के गठन के बाद से साल 2000 से कई राज्यों में पार्टी ने चुनाव लड़ा है और पार्टी को मजबूती मिली है.
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"कई राज्यों में लोजपा के विधायक जीतकर विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं. उत्तर प्रदेश में भी कई सीटों पर हम चुनाव पहले भी जीत चुके हैं. हालांकि विगत कुछ सालों में हमने चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन फिर पार्टी को मजबूती और संगठन के विस्तार को लेकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया है. विगत कुछ सालों में चुनाव नहीं लड़ने से पार्टी का संगठन कमजोर हुआ है. कार्यकर्ताओं, नेताओं में उदासी देखी गई है. जिसके बाद फिर से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया है."- चिराग पासवान, जमुई सांसद
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वहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय कुमार (Political Expert Dr. Sanjay Kumar) ने ईटीवी भारत (etv bharat bihar ) से खास बातचीत के दौरान कहा कि, लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का सबको अधिकार है. पांचों राज्यों में चाहे तो चिराग पासवान चुनाव लड़ सकते हैं उन्हें कौन रोक सकता है. परंतु इसका परिणाम क्या होगा यह तो चिराग पासवान को अच्छे से पता है. बिहार की क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद भी बिहार में अकेले चुनाव लड़कर चिराग पासवान ने देख लिया है. 143 सीटों पर उन्हें महज एक सीट पर ही जीत हासिल हुई थी.
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"बिहार में पार्टी की जमीन मजबूत है इसके बावजूद वहां पर स्थिति अच्छी नहीं रही. ऐसे में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में कुछ भी हासिल कर पाएंगे यह हम नहीं समझते हैं. अन्य राज्यों में लोजपा के कुछ विधायक जरूर पहले जीत चुके हैं लेकिन उस समय की परिस्थिति अलग थी. अखिल भारतीय समाज में दलित नेता के रूप में रामविलास पासवान का चेहरा स्थापित था. चिराग पासवान खुद को कितना स्थापित कर पा रहे हैं, यह उनसे अच्छा कोई नहीं जान सकता है."- डॉ संजय कुमार पॉलिटिकल एक्सपर्ट
पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय कुमार की मानें तो, उत्तर प्रदेश में दलितों का चेहरा मायावती और चंद्रशेखर पहले से ही मौजूद हैं और भारतीय जनता पार्टी का दलितों के साथ एक बड़ा कॉम्बिनेशन है. ऐसे में चिराग पासवान को उत्तर प्रदेश में खुदको स्थापित करने में काफी मुश्किलों का सामना करना होगा. चिराग पासवान अगर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में अपने पार्टी के संगठन को मजबूत करने के नाते चुनाव लड़ने जा रहे हैं तब तो ठीक है. लेकिन अगर वह सोच रहे हैं कि, सरकार में उनकी भूमिका होगी तो उन्हें काफी मेहनत अभी और करना होगा.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव 10 फरवरी से होना है. इसको लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. बता दें कि वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ताल ठोक रहे हैं. मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी यूपी में 165 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है.
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