पटना: पूरे देश भर में 21 अक्टूबर के दिन शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में पुलिस स्मरण दिवस (Police Memorial Day) आयोजित किया जाता है. इसी कड़ी में राजधानी पटना में भी शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में बिहार सशस्त्र पुलिस 5वीं वाहिनी में पुलिस स्मरण दिवस मनाया गया. जहां डीजीपी के साथ कई आला अधिकारियों ने शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीदों को याद किया और पुलिसकर्मियों के सम्मान में स्मृति परेड का आयोजन किया गया.
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बिहार सशस्त्र पुलिस 5वीं वाहिनी में इस वर्ष बिहार के 7 पुलिसकर्मी और अधिकारी शहीद हुए हैं. इसके साथ ही पुलिस अवर निरीक्षक बरमेश्वर सिंह किशनगंज जिला पुलिस बल, पुलिस अवर निरीक्षक दिनेश राम सीतामढ़ी जिला पुलिस बल, सिपाही सोहन लाल मंडल कटिहार जिला पुलिस बल, पुलिस निरीक्षक अश्वनी कुमार, किशनगंज पुलिस अवर निरीक्षक प्रवीण कुमार, पंकज वैशाली जिला बल हवलदार, कांति कुमारी जहानाबाद जिला बल और सिपाही अर्जुन दयाल विशेष सशस्त्र पुलिस बल यह सभी पुलिस कर्मी कर्तव्य के बलिवेदी पर प्राण न्योछावर करने वाले बिहार पुलिस के जांबाज पुलिस पदाधिकारी कर्मी हैं.
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वहीं, 28 पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जो 1 सितंबर 2020 से लेकर 31 जुलाई 2021 तक कर्तव्य के दौरान अपराधिक घटनाओं के अलावा प्राकृतिक आपदा एवं वैश्विक करोना महामारी से संक्रमित होकर अपने कर्तव्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी है. उन पुलिसकर्मियों को भी शहीद दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. बिहार के डीजीपी सहित एडीजी मुख्यालय और पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने दो मिनट का मौन रखकर शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया.
यह परंपरा 1961 से चली आ रही है. इस निर्णय को कॉन्फ्रेंस के दौरान लिया गया था. 1959 में लद्दाख की बरफीली चोटियों पर चीनी आक्रमणकारियों ने हमला किया था. जिसमें 11 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. कोरोना के दौरान भी 28 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, उन्हें भी श्रद्धांजलि दी गई है.
आज से 62 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कम्पनी को भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में हाट-स्प्रिंग में तैनात किया गया था. उस दौरान कंपनियों को टुकड़ियों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया था. जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल हाट-स्प्रिंग में गश्त कर रहा था, तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया. तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया.
उस दौरान मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 11 जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था. तब से लेकर आज तक केन्द्रीय पुलिस संगठनों और सभी राज्यों की सिविल पुलिस के माध्यम से 21 अक्टूबर को पुलिस स्मरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.