पटनाः बिहार के पटना का शीर चाय (Sheer Tea in Patna) काफी मशहूर है. सब्जीबाग में मिलने वाले इस चाय की काफी डिमांड रहती है. दूरदराज से लोग इसे पीने के लिए पहुंचते हैं. इसकी मांग ऐसी है कि इफ्तार के बाद रोजेदार सीधा शीर चाय पीने सब्जीबाग पहुंचते हैं. रात भर यहां दुकान सजी रहती है. इसका जायका और इसका रंग ही इतना लाजवाब है कि हर कोई इसकी तरफ खिंचा चला आता है. आप यह जरूर जानते होंगे कि शीर चाय का रंग गुलाबी है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसके बनाने के तरीके और सामग्री के कारण इसका रंग गुलाबी हो जाता है. आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि यह चाय कश्मीर की फेमस नून चाय है. इसे ही शीर चाय भी कहते हैं.
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रोजाना बिकती हैं हजारों कप चायः सब्जीबाग में करीब 40 वर्षों से अपनी शीर चाय की दुकान सजाए मोहम्मद हैदर रमजान कहते हैं कि रमजान के पाक महीने में रोजाना 1000 से 2000 कप शीर चाय की बिक्री हो जाती है. वे कहते हैं कि पटना शहर शीर चाय के लिए भी काफी मशहूर है. खास कर रमजान के महीने में इस चाय का लुत्फ उठाने दूरदराज से लोग पटना के सब्जीबाग इलाके पहुंचते हैं. इस चाय को तैयार करने वाले मोहम्मद हैदर बताते हैं. इस चाय को कड़ी मशक्कत के बाद बनाया जाता है. लगभग 8 घंटे की तैयारी के बाद इसे बनाया जाता है. इस चाय में कश्मीरी पत्ती और ड्राई फ्रूट के साथ-साथ कई चीजों का मिश्रण किया जाता है. इस चाय को पीने से रोजेदारों को काफी ऊर्जा मिलती है.
सब्जीबाग में चाय बनाने की प्रक्रियाः सब्जीबाग में शीर चाय की शाही स्टॉल सजाए मोहम्मद हैदर बताते हैं कि इस चाय को बनाने के लिए कश्मीरी पत्ती को करीब 3 घंटे तक पानी में उबाला जाता है. फिर बिना छाने हुए इसे लच्छे की तरह 1 घंटे तक खौलाया जाता है. इससे चाय का रंग धीरे-धीरे गुलाबी हो जाता है. फिर इसे छानकर दोबारा चूल्हे पर चढ़ा कर कश्मीरी चाय पत्ती डालकर खौलाया जाता है. उसके बाद इसमें काजू, कागजी बादाम, छुहारा, दलचीनी, पोस्ता दाना, बड़ी इलायची, जाफरान, अखरोट और दूध डालकर करीब 4 घंटे खौलाया जाता है. तब जाकर बनती है लजीज शीर चाय.
कीमत भी ज्यादा नहींः मोहम्मद हैदर बताते हैं कि महंगाई के कारण इस शाही शीर चाय की कीमत फिलहाल 15 रुपए रखी गई है. उन्होंने 2 रुपए कप से चाय की बिक्री की शुरुआत की थी. मोहम्मद हैदर बताते हैं कि रमजान के पूरे एक महीने वह इस शाही शीर चाय की बिक्री करते हैं. 11 महीने वे इसी जगह पर आम चाय बनाकर लोगों को पिलाते हैं. इसी से उनके परिवार का गुजर-बसर होता है.