फोर्ड हॉस्पिटल में फिजियोथेरेपी वर्कशॉप पटना:राजधानी पटना में फिजियोथेरेपी (Physiotherapy in Patna) को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए फोर्ड हॉस्पिटल में वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इस मौके पर वहां मौजूद पद्मश्री डॉ शांति राय ने कहा कि सर्जरी चाहे जितने अच्छे ढंग से हुई हो लेकिन अगर फिजियोथैरेपी समय पर सही तरीके से नहीं की गई तो सर्जरी सफल नहीं हो पाती है. इसलिए चिकित्सकों को अस्पतालों में सर्जरी के बाद मरीज के बेहतर फिजियोथेरेपी की व्यवस्था करने की बेहद जरूरी है. मॉडर्न लाइफस्टाइल में फिजियोथैरेपी का महत्व और सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी के महत्व के विषय पर एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन फोर्ड हॉस्पिटल में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पद्मश्री डॉक्टर शांति राय, एम्स पीएमसीएच, आईजीआईएमएस के भी कई वरिष्ठ चिकित्सक और सीएमई सम्मिलित हुए.
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मॉडर्न लाइफस्टाइल में फिजियोथैरेपी का रोल: विभिन्न विभागों के चिकित्सकों को फिजियोथैरेपी के आयामों पर व्याख्यान देने वाली फिजियोथैरेपिस्ट डॉ स्वाति कुमारी ने कहा कि आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में फिजियोथैरेपी का रोल बहुत अहम है. लोगों को गर्दन झुकाकर मोबाइल पर काम करने की आदत पड़ गई है, अधिक देर चेयर पर बैठकर काम करना पड़ रहा है. वहीं सर झुका कर लैपटॉप पर अधिक समय तक काम करना पड़ रहा है ऐसे में लोगों को सर्वाइकल, स्पॉन्डिलाइटिस, फ्रोजन शोल्डर, सर्वाइकल डिस्क बल्ज जैसी समस्याएं कॉमन हो गई हैं. इन समस्याओं को लेकर ऑर्थोपेडिक और न्यूरोलॉजिस्ट के पास पेशेंट की भीड़ रह रही है और इसका सही इलाज फिजियोथैरेपी सही हो पाता है.
"सर्जरी चाहे जितने अच्छे ढंग से हुई हो लेकिन अगर फिजियोथैरेपी समय पर सही तरीके से नहीं की गई तो सर्जरी सफल नहीं हो पाती है. इसलिए चिकित्सकों को अस्पतालों में सर्जरी के बाद मरीज के बेहतर फिजियोथेरेपी की व्यवस्था करने की बेहद जरूरी है."-पद्मश्री डॉ शांति राय
कैसी फिजियोथैरेपी है जरूरी?: डॉ स्वाति कुमारी ने आगे कहा कि अब हाथ उठाकर झोल झाड़ने का चलन भी बंद हो गया है. ऐसे में कई महिलाएं उनके पास शिकायत लेकर पहुंचती है कि उनका हाथ ऊपर तक नहीं उठ रहा है. उन्हें कुछ दिनों तक फिजियोथैरेपी का सेशन देना पड़ता है जिसके बाद वह ठीक हो जाती हैं. कई बार करवट बदलने में या झटके से कुछ एक्शन करने में कोई नस दब जाता है अथवा माइनर फ्रैक्चर हो जाता है. इस समय फिजियोथेरेपी का रोल बहुत बढ़ जाता है. समय पर फिजियोथेरेपी हो जाती है तो समस्या दूर हो जाती है नहीं तो आगे प्रॉब्लम बढ़ जाता है और सर्जरी करानी पड़ जाती है.
"अब हाथ उठाकर झोल झाड़ने का चलन भी बंद हो गया है. ऐसे में कई महिलाएं उनके पास शिकायत लेकर पहुंचती है कि उनका हाथ ऊपर तक नहीं उठ रहा है. उन्हें कुछ दिनों तक फिजियोथैरेपी का सेशन देना पड़ता है जिसके बाद वह ठीक हो जाती हैं. कई बार करवट बदलने में या झटके से कुछ एक्शन करने में कोई नस दब जाता है अथवा माइनर फ्रैक्चर हो जाता है."-डॉ स्वाति कुमारी, फिजियोथैरेपिस्ट
सामान्य जीवन शैली के लिए फिजियोथैरेपी महत्वपूर्ण: फॉर्ड अस्पताल के निदेशक डॉक्टर संतोष कुमार ने कहा कि आज के युग में मेडिकल साइंस रोज नई तरक्की कर रहा है और चिकित्सकों का कार्य है कि क्या कुछ नया हो रहा है इसकी जानकारी रखना. इससे मरीजों को बेहतर सेवा दी जा सकती है. हर फील्ड में नया हो रहा है और दूसरे फील्ड के लोग उस फील्ड से अनभिज्ञ रह रहे हैं. ऐसे में हर विभाग के डॉक्टर दूसरे विभाग में क्या नया हो रहा है और क्या बेहतर हो रहा है इस प्रकार की कार्यशाला में जानकारी प्राप्त करते हैं. आज के समय कोई भी सर्जरी हो मरीज को जल्दी मूवमेंट में लाना है, उसे सामान्य जीवन शैली देना है, इसके लिए फिजियोथैरेपी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. सिर से लेकर आंख तक, आंख से लेकर गर्दन तक, गर्दन से लेकर पेट तक, पेट से लेकर घुटना तक और घुटने से लेकर तलवा तक, सभी प्रकार की परेशानियों और इनसे जुड़ी हुई सर्जरी में फिजियोथेरेपी बहुत महत्वपूर्ण होता है.
"आज के युग में मेडिकल साइंस रोज नई तरक्की कर रहा है और चिकित्सकों का कार्य है कि क्या कुछ नया हो रहा है इसकी जानकारी रखना. इससे मरीजों को बेहतर सेवा दी जा सकती है. हर फील्ड में नया हो रहा है और दूसरे फील्ड के लोग उस फील्ड से अनभिज्ञ रह रहे हैं. ऐसे में हर विभाग के डॉक्टर दूसरे विभाग में क्या नया हो रहा है और क्या बेहतर हो रहा है इस प्रकार की कार्यशाला में जानकारी प्राप्त करते हैं."- डॉ संतोष कुमार, लेप्रोस्कोपिक सर्जन, डायरेक्टर फोर्ड हॉस्पिटल