पटना:एक तरफ कोरोना ने व्यवसाय को चौपट कर रखा था और रही सही कसर अब डीजल और पेट्रोल की बढ़ी कीमत से पूरा हो रहा है. डीजल व पेट्रोल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि से ट्रक मालिक और ट्रांसपोर्टरों की मुसीबत बढ़ गई है.
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कोरोना के समय से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पहले से काफी हद तक प्रभावित था और अब डीजल के दाम में वृद्धि से बिहार में 50% ट्रक बंद हो गए हैं. माल भेजने वालों की संख्या में कमी आई है. माल भाड़ा बढ़ने से जरूरी सामान या सब्जियां ही आ रहीं हैं. डीजल के दाम बढ़ने के चलते ट्रांसपोर्टरों ने माल भाड़ा बढ़ा दिया है. इसके चलते व्यापारी ट्रांसपोर्टरों से माल कम मंगा रहे हैं. व्यापारी वर्ग इस आस में है कि डीजल के दाम कम हो तो माल भाड़ा भी कम होगा.
बिहार ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष भानु प्रशाद शेखर सिंह ने कहा कि प्रदेश में ऐसे ही डीजल के दाम बढ़ते रहे तो ट्रक मालिकों को व्यवसाय बंद करके कुछ और करना पड़ेगा. डीजल के दाम बढ़ने से माल भाड़ा बढ़ता है. इससे व्यापारी माल मंगाने से मना करने लगते हैं. ऐसे में महंगाई कम करने का दावा करने वाली सरकार को कम से कम डीजल-पेट्रोल जैसी जरूरी चीजों के दाम हर हाल में नियंत्रित करने चाहिए.
खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े
लगातार बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दाम से खाद्य वस्तुओं की कीमत में भी उछाल आना शुरू हो गया है. इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ने लगा है. खाने की चीजों की कीमत में 5-10 रुपए तक इजाफा हुआ है. आने वाले दिनों में आम लोगों की जेब पर इसका सीधा असर पड़ेगा. अधिकांश खाद्य पदार्थ दूसरे प्रदेशों से पटना की मंडी में आते हैं. राजस्थान से सरसों तेल, चना दाल, लाल मिर्च, मध्य प्रदेश से गेहूं, महाराष्ट्र से प्याज, यूपी से चीनी और केरल से गरम मसाले आते हैं.
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स डीजल की मार से किसान भी अछूते नहीं हैं. ट्रैक्टर, थ्रेसर और पंपसेट जैसे कृषि यंत्र डीजल से चलते हैं. एक महीने बाद गेहूं की कटाई शुरू होगी. डीजल की कीमत बढ़ने से किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, महिला गायत्री देवी ने बताया कि महंगाई की मार झेलना बहुत मुश्किल है. जिस तरह से साग सब्जी या राशन के सामान के दाम बढ़ रहे हैं घर चलाना मुश्किल हो गया है. सभी समानों के दाम बढ़ गए हैं. सरकार को इसपर सोचना चाहिए.
मंडल ने बताया कि जिसके पास पैसा है उसको महंगाई का कोई गम नहीं है. महंगाई तो रोज बढ़ रही है, गरीब के लिए दो वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो गया है. वहीं, व्यपारियों का मानना है कि महंगाई का असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है. लोग सीमित मात्रा में ही खरीदारी कर रहे हैं. जरूरत के सामानों में भी लोग कटौती कर रहे हैं.