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महापर्व छठ का हुआ समापन, कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

बिहार में सूर्य की उपासना से जुड़े चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ किया गया. वहीं छठ घाटों पर कोरोना संक्रमण को लेकर सरकारी निर्देश से ज्यादा भारी लोगों की आस्था देखी गई.

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Published : Nov 21, 2020, 1:35 PM IST

नवादा/पूर्णिया/मोतिहारी/पटना/छपरा:बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा शनिवार के सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन किया गया. यह महापर्व बुधवार को नहाए-खाए के साथ शुरू किया गया था. वहीं शनिवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न किया गया.

देखें नवादा रिपोर्ट.

घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई गई धज्जियां
नवादा के मिर्जापुर स्थित छठ घाट पर हजारों की संख्या में सुबह 3 बजे से ही व्रति महिलाएं और श्रद्धालु घाटों पर पहुंचना शुरू दिया. श्रद्धालुओं को अंधरे में किसी प्रकार की दिक्कतें न हो इसके लिए जिला प्रशासन और नगर परिषद की ओर से साफ-सफाई के साथ-साथ लाइट की पूरी व्यवस्था की गई. कोरोना काल के दौरान घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग जमकर धज्जियां उड़ाई गई. श्रद्धालु बिना मास्क के ही छठ घाट पर पहुंच रहे थे.

पूर्णिया:जिले मेंलोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर संपन्न किया गया. चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व भक्तिमय वातावरण के साथ समापन किया गया.

देखें पूर्णिया की रिपोर्ट.

छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब
जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों की पोखर, तालाब और नदियों में बने छठ घाटों पर छठ व्रतियों के साथ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. वहीं दूसरी ओर पूर्णिया सेंट्रल जेल में छठ का उत्साह देख गया. यहां 23 कैदियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे का निर्जला व्रत को तोड़ा गया. इस दौरान आम तौर पर संवेदनशील सा दिखाई देने वाला सेंट्रल जेल श्रद्धा और निष्ठा के साथ सूर्य भगवान की आराधना में जुटे हुआ देखा गया.

घाटों पर आस्था का जनसैलाब.
मोतिहारी:जिले में सूर्य की उपासना से जुड़े चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ किया गया. छठ घाटों पर कोरोना संक्रमण को लेकर सरकारी निर्देश से ज्यादा भारी लोगों की आस्था देखी गई. शनिवार की सुबह से ही श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रति और उनके परिजन अपने-अपने घरों की ओर लौट गए.
देखें मोतिहारी की रिपोर्ट.

घाट पर चिकित्सा और स्वास्थ्यकर्मी थे मौजूद
जिला प्रशासन की ओर से छठ महापर्व को लेकर सभी घाट पर सुरक्षाकर्मियों के अलावा स्वास्थ्यकर्मी की प्रतिनियुक्ति की गई थी. शहरी क्षेत्र के घाटों पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते कुछ लोग ही देखे गए. ग्रामीण क्षेत्रों में आस्था के सामने कोरोना प्रोटोकॉल का कोई मतलब नहीं देखा गया. स्वास्थ्य विभाग के नोडल पदाधिकारी अखिलेश पांडे ने बताया कि सभी छठ घाट पर स्वास्थ्य कर्मी मुस्तैद थे, जिससे जरुरत पड़ने पर किसी व्रति या आम लोगों को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.

अर्घ्य देते हुए श्रद्धालु.

पटना: कोरोना काल में आस्था का महापर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. लोक आस्था का महापर्व आज उगते सूर्य को अर्ध्य देकर संपन्न किया गया. चार दिवसीय अनुष्ठान का महा पावन पर्व मसौढी में शांतिपूर्ण तरीके के साथ संपन्न हुआ.

देखें पटना की रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें:उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व समाप्त

60 से अधिक बनाए गए घाट
जिले के मसौढी अनुमंडल में इस बार 60 से अधिक छठ घाट बनाये गये थे, जहां प्रशासनिक तौर पर एहतियात के लिए कई व्यवस्था की गई थी. सभी घाटों पर कोरोना गाइडलाइन को लेकर माईकिंग किया जा रहा था. इसके बावजूद भी श्रद्धालुओं के बीच कोरोना गाइडलाइन फेल साबित होता गया. वहीं मणिचक श्री विष्णु सूर्यमंदिर सूर्यकूंड में हजारों की संख्या मे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी. मसौढी मणिचक सूर्यमंदिर की कई पौराणिक कथाएं है. ऐसी मान्यता है कि मणिचक सूर्यमंदिर मे पूजा अर्चना करने पर निःसंतान महिलाओं को संतान सुख मिलता है. वहीं कुष्ठ रोगियों को सूर्यकूंड में स्नान कर सूर्यमंदिर में पूजा अर्चना करने पर कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है.

छपरा: सूर्य उपासना का महापर्व आज यानी शनिवार को उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ संपन्न किया गया. यह चार दिवसीय महापर्व बुधवार को नहाय-खाय के साथ शुरू किया गया था. इसके साथ ही इस महापर्व को भक्तिमय वातावरण में संपन्न किया गया.

देखें छपरा की रिपोर्ट.

56 प्रकार के व्यजंनों का समावेश
छठ महापर्व के पहले दिन दाल, चावल और कद्दू की सब्जी बनाकर भगवान का भोग लगाया गया. इसके बाद व्रति महिला और परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद को ग्रहण करते हैं. इसके बाद अगले दिन खरना पर्व का आयोजन किया जाता है, जिसमें साठी चावल की खीर और रोटी और मौसमी नए फलों से भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसमें शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसके साथ ही प्रसाद बनाने के लिए गंगाजल का प्रयोग किया जाता है. वहीं प्रसाद बनाने में लगभग 56 प्रकार के व्यंजनों का समावेश किया जाता है.

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