पटना: राज्य सरकार के जितने भी आयोग हैं उनमें बिहार राज्य महिला आयोगका (Bihar State Women Commission) अहम स्थान है. यह आयोग न केवल महिलाओं के हित की रक्षा के लिए तत्पर रहती है, बल्कि इस आयोग के पास महिलाएं खुलकर अपनी बातों को रखती हैं. ताकि, उनकी समस्या का समाधान हो सके. बड़ी और अहम बात यह है कि अक्टूबर 2020 में इस आयोग को भंग (Women Commission Dissolved in Bihar) कर दिया गया था. तकरीबन दो साल हो चुके हैं, लेकिन दोबारा बिहार राज्य महिला आयोग का गठन नहीं हुआ है. इसके कारण हर रोज आयोग में महिलाओं से जुड़े मामले पहुंच रहे हैं, लेकिन उनका निष्पादन नहीं हो रहा है.
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आयोग भंग होने के बाद पेंडिंग पड़े हैं 5600 आवेदनःमहिला आयोग की चेयरमैन रह चुकी दिलमणि मिश्रा का कहना है कि वह अब अध्यक्ष नहीं हैं. फिर भी उनके पास हर रोज बड़ी संख्या में महिलाएं आ रही हैं. सरकार को चाहिए कि वह आयोग के गठन को लेकर एक अहम फैसला करें, ताकि महिलाओं को उनकी समस्या से निजात दिलाई जा सके. जानकारी के अनुसार आयोग के भंग होने के बाद से अब तक करीब 5600 आवेदन पेंडिंग में पड़े हैं, जो भी आवेदन पेंडिंग में हैं रजिस्टर पर उनको मेंटेन किया जा रहा है. साल 2020 में कुल 3053 आवेदन आए थे. आयोग के भंग होने के बाद करीब 1400 आवेदन पर कार्यवाही नहीं हो पाई थी. 2021 में पोस्ट के जरिए करीब ढाई हजार आवेदन प्राप्त हुए थे, जबकि 2022 में सितंबर माह तक 1700 के करीब आवेदन आयोग को पोस्ट के जरिए प्राप्त हुए हैं.
हर दिन आते हैं 10 से 20 केसःदिलमणि मिश्रा ने बताया कि उनके पास आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं अपने परेशानी को लेकर आती हैं. उसे मैं अपने स्तर से दूर करने की पूरी कोशिश करती हूं. यह पूछे जाने पर कि आपके पास क्या केस आ रहे हैं और उसका निष्पादन कैसे हो रहा है? दिल मणि मिश्रा बताती हैं कि मेरे पास 10-20 केस रोज आते हैं. आने वाली महिलाएं अपनी व्यथा को सुनाती हैं. कहती हैं कि हम लोग आखिर कहां जाए? मेरा भी यह जवाब होता है कि मैं भी कुछ नहीं कर सकती हूं.
अपने स्तर से करती हूं मददः दिलमणि मिश्रा कहती हैं कि मेरे पास जो महिलाएं आती हैं, मैं उन्हें महिला हेल्पलाइन या महिला थाना जाने की सलाह देती हूं. महिलाओं की व्यथा को देखकर मैं संबंधित जिले के डीएम, एसपी को संपर्क करती हूं और सारी बातों को बताती हूं. अभी भी प्रशासनिक अधिकारी मेरी बातों को मानते हैं. मुझसे जितना हो सकता है, मैं जरूर करती हूं, लेकिन महिलाओं की समस्या बहुत ज्यादा हो गई है. आयोग को भंग हुए 2 साल हो गए. वहां आवेदन आते तो हैं, लेकिन उनको इसका फाइल बना कर रख लिया जा रहा है. जब तक आयोग का गठन नहीं होगा तब तक कार्य भी नहीं हो सकता है.
आयोग गठित होते ही शुरू हो जाएगा निष्पादन: दिलमणि मिश्रा यह भी बताती हैं कि जो केस आते हैं वह जमा हो जाते हैं. महिला आयोग का जैसे ही गठन होता है, उन सारे केसों को निष्पादित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. उन्होंने कहा कि मेरे ही वक्त में हजारों की संख्या में मामले जमा हो गए थे. इनका निष्पादन किया गया. हमलोगों ने कैम्प तक लगाया था. सारे सदस्यों को केस बांटा गया था और खत्म करने की बात कही गई थी.
हर दिन लड़कियों के साथ हो रही घटनाएंःदिलमणि बताती हैं कि महिला और लड़कियों के साथ रोज घटनाएं घट रही हैं, लेकिन जब आयोग का गठन ही नहीं होगा तो केस का निष्पादन आखिर कैसे होगा? लड़कियों के साथ छेड़खानी की बातें सामने आ रही हैं. उनको सुनने वाला कोई नहीं है. आखिर लड़कियां जाए तो कहां जाएं? मेरे वक्त में लड़कियों के साथ जो भी घटनाएं सामने आती थी मैं तुरंत वाहन निकालकर वहां पहुंच जाती थी?
जल्द महिला आयोग का गठन करे सरकारः दिलमणि मिश्रा कहती है कि सबसे पहले बिहार राज्य महिला आयोग का गठन होना चाहिए. उसके बाद सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि महिला कहीं भी जा रही है, चाहे वह थाना हो या हेल्पलाइन, वहां महिला की सुनवाई हो. महिलाओं की सुनवाई कहीं नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि महिला आयोग में एक अध्यक्ष और साथ में 8 लोगों की टीम होती है. साथ ही एक उप सचिव स्तर के अधिकारी भी होते हैं. आयोग से आने के पहले मैंने एक भी केस नहीं छोड़ा था. सारे केसों का निष्पादन हो गया था, लेकिन अभी सूचना मिल रही है कि हजारों की संख्या में केस हो गए हैं. जितने भी केस आ रहे हैं. सब फाइलों में जमा हो रहे हैं. कोई सुनने वाला नहीं है. सरकार से मेरा आग्रह है कि जल्द से जल्द महिला आयोग का गठन किया, जाए ताकि कोई महिला के दुख दर्द को सुन सके.
"सबसे पहले बिहार राज्य महिला आयोग का गठन होना चाहिए. महिलाओं की सुनवाई कहीं नहीं हो रही है. आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं अपने परेशानी को लेकर आती हैं. उसे मैं अपने स्तर से दूर करने की पूरी कोशिश करती हूं. आयोग से आने के पहले मैंने एक भी केस नहीं छोड़ा था. सारे केसों का निष्पादन हो गया था, लेकिन अभी सूचना मिल रही है कि हजारों की संख्या में केस हो गए हैं. सरकार से मेरा आग्रह है कि जल्द से जल्द महिला आयोग का गठन किया, जाए ताकि कोई महिला के दुख दर्द को सुन सके"- दिलमणि मिश्रा, पूर्व चेयरमैन, बिहार राज्य महिला आयोग