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दुल्हिन बाजार के उलार सूर्य मंदिर की महिमा अपरंपार, महापर्व छठ में बड़ी संख्या में पहुंचे हैं श्रद्धालु - उलार सूर्य मंदिर का इतिहास

देश के 12 प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में पटना जिले का उलार सूर्य मंदिर (Ular Sun Temple of Dulhin Bazar) शामिल है. दुल्हिन बाजार प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दक्षिण एसएच 2 मुख्यालय पथ पर स्थित है. मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब ऋषि मुनियों के श्राप के कारण कुष्ठ रोग से पीड़ित थे. देवताओं की सलाह पर उलार के तालाब में स्नान कर सूर्य की उपासना की थी. इससे वे कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे.

उलार सूर्य मंदिर
उलार सूर्य मंदिर

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Published : Oct 29, 2022, 3:49 PM IST

पटना: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2022) की शुरुआत हो चुकी है. चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन खरना का प्रसाद बनता है. दूसरे दिन से ही छठ घाट पर व्रतियों का आना शुरू हो जाता है. राजधानी पटना से 40 किलोमीटर दूर देश के 12 सूर्य मंदिरों में शामिल दुल्हिन बाजार प्रखंड स्थित उलार सूर्य मंदिर में छठवर्तियों का आना शुरू हो चुका है. दो साल के बाद इस साल छठ पूजा को लेकर जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार की तरफ से उलार सूर्य मंदिर (Ular Sun Temple of Dulhin Bazar) में छठव्रतियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. सुरक्षा को लेकर एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है. उलार सूर्य मंदिर पहुंचने से पहले सभी छठव्रती पौराणिक अतिप्राचीन तालाब का परिक्रमा करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं.

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12 सूर्य मंदिर में शामिल है उलार सूर्य मंदिरः उलार सूर्य मंदिर के महंत एवं मुख्य पुजारी अवध बिहारी दास ने बताया कि देश के 12 सूर्य मंदिर में शामिल उलार सूर्य मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यह पौराणिक सूर्य मंदिर है. यहां जो श्रद्धालु सच्चे मन से मांगते हैं उनकी मुराद पूरी होती है. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के पुत्र राजा शाम्ब को ऋषि-मुनियों ने शाप दिया था. जिसको समाप्त करने को लेकर देश के 12 सूर्य मंदिर में पूजा आराधना करने की बात कही गई थी. जहां 12 सूर्य मंदिर में दूसरे नंबर पर दुल्हिन बाजार उलार सूर्य मंदिर है.

महापर्व छठ में बड़ी संख्या में पहुंचे हैं श्रद्धालु.
मन्नत पूरी होने के बाद पहुंचीः छठ पूजा करने को लेकर उलार मंदिर पहुंची भागलपुर की रहने वाली सीमा सिन्हा ने बताया कि उलार सूर्य मंदिर के बारे में काफी सुना है. यहां पर अगर सच्चे मन से मांगा जाए तो मन्नत पूरी होती है. जिसको लेकर अपने परिवार के साथ छठ पूजा करने उलार मंदिर पहुंची हूं. उलार सूर्य मंदिर में उनकी भतीजे का मुंडन माना हुआ था. मन्नत पूरी होने के बाद मुंडन कराया जा रहा है.
छठ करने पहुंचे व्रती.

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उलार सूर्य मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु.

दो साल के बाद छठ पूजा पर रौनकः दो साल के बाद छठ पूजा को लेकर काफी रौनक देखने को मिल रही है. प्रदेशभर से छठवर्ती उलार सूर्य मंदिर में पूजा करने पहुंच रहे हैं. इनमें से कई अपनी मन्नत उतारने मंदिर पहुंचे हैं. कहीं महिलाएं नेटवा नाच करा कर मन्नत उतार रही है, तो कहीं महिलाएं अपने बेटे का मुंडन करा कर मन्नत उतार रही हैं. इधर छठ पूजा के मद्देनजर खुद पालीगंज एएसपी अवधेश सरोज, स्थानीय थाना अध्यक्ष मनोज कुमार दल बल के साथ उलार छठघाट का निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा लिया.

तैयारियों का जायजा लेते अधिकारी.

"पटना पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन की तरफ से उलार सूर्य मंदिर में छठ व्रतियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. सुरक्षा को लेकर सभी जगहों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. सीसीटीवी के साथ निगरानी की जा रही है"-अवधेश सरोज दीक्षित, एएसपी, पालीगंज

दुल्हिन बाजार का उलार सूर्य मंदिर.

क्या है मान्यताः उलार सूर्य मंदिर के इतिहास की बात करें तो हिन्दुओं के प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ शाम्ब पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जाम्बन्ति पुत्र राजा शाम्ब सुंदर स्त्रियों व युवतियो के साथ सरोवर में स्नान कर रहे थे. उसी समय महर्षि गर्ग सरोवर के नजदीक वाले रास्ते से कहीं जा रहे थे. उन्हें देखने के बावजूद भी राजा शाम्ब ने ना तो उनका अभिवादन किया और ना ही युवतियों से अलग हटे. राजा शाम्ब ने महर्षि का उपहास किया, जिससे क्रोधित होकर महर्षि गर्ग ने राजा शाम्ब को कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया. इस बात की जानकारी होने भगवान श्रीकृष्ण को बहुत दुख हुआ. उन्होंने राजा शाम्ब को इस श्राप से मुक्ति के लिए शाकद्वीप से वैद्य व सूर्य उपासक ब्राह्मणों को बुलाकर उपचार व भगवान सूर्य का उपासना करवाया.

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अर्क स्थल के रूप में प्रतिष्ठापित कियाः जिन नदियों व तालाबों के किनारे की मिट्टी व जल में गन्धक की मौजूदगी पायी गयी वहा यज्ञ का आयोजन करवाकर अर्क स्थल के रूप में प्रतिष्ठापित किया. जिसमें बारह अर्क स्थल शामिल है. जैसे उलार के ओलार्क, उड़ीसा के कोणार्क, देव के देवार्क, पंडारक के पुण्यार्क, अङ्गरी के औंगार्क, काशी के लोलार्क, कन्दाहा सहरसा के मार्केण्डेयार्क, उत्तराखण्ड कटारमल के कटलार्क, बड़गांव के बालार्क, चंद्रभागा नदी किनारे चानार्क, पंजाब के चिनाव नदी किनारे आदित्यार्क व गुजरात के पुष्पावती नदी किनारे मोढेरार्क. तब से आज तक हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग इन स्थलों पर पूजा अर्चना कर रोगों व ब्याधियों से मुक्ति पा रहे हैं.

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