पटना : बिहार की राजधानी पटना स्थित हाईकोर्ट ने एक प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया. दरअसल, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट के ऊपर शादी का झांसा देकर शरीरिक संबंध बनाने का आरोप है. पटना हाईकोर्ट ने शादी का प्रलोभन दे शारीरिक संबंध बनाने के मामले में औरंगाबाद जिला के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में तैनात प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट मनीष कुमार पांडेय उर्फ मनीष पांडेय की अग्रिम जमानत याचिका को रद्द कर दी है. जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई की.
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शादी का झांसा देकर किया गलत काम : इस मामलें में सूचक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता जब जमुई में तैनात थे, तो पहले वहां के सरकारी अस्पताल में नौकरी लगाने का प्रलोभन दिया और शारीरिक संबंध बनाने लगा. बाद में शादी करने के नाम पर भी शारीरिक सम्बन्ध बनाने लगा. यही नहीं सूचक का आरोप है कि याचिकाकर्ता अपने सरकारी आवास पर उसे पत्नी की तरह रखते थे. वहां से औरंगाबाद स्थान्तरित होने के बाद दहेज के रूप में 25 लाख रुपये मांगा जाने लगा. पैसा नहीं दिये जाने के बाद मारपीट कर भगा दिया गया.
झूठा केस करने का लगाया आरोप : जब पीड़िता के साथ मारपीट की गई तो उसके बाद उसने प्राथमिकी दर्ज कराई है. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सूचक पहले से ही शादीशुदा है और इनका तलाक का केस चल रहा है. उनका कहना था कि उन पर झूठा केस दर्ज कराया गया है. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया.