पटना: बिहार के पश्चिम चम्पारण स्थित हारनाटांड में अनुसूचित जनजाति बालिका स्कूल की दयनीय हालत पर सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने बिहार आदिवासी अधिकार फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों द्वारा स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दिए जाने के मामले को गम्भीरता से लिया था. कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी (बालसा) से रिपोर्ट तलब किया था.
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हरनाटांड की हालत दयनीय: कोर्ट ने बालसा को ये बताने को कहा था कि कितने बच्चों ने स्कूलों की पढ़ाई छोड़ दी है और कितने बच्चों ने दोबारा इन स्कूलों में जाना शुरू किया है? बिहार आदिवासी अधिकार फोरम की लोकहित याचिका दायर की थी. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए चिंता जताते हुए ये जानना चाहा था कि इन बच्चों की पढ़ाई के लिए राज्य सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की गई है?
पिछली सुनवाई में क्या हुआ?: इसके साथ साथ कोर्ट ने बालसा के एक सदस्य को लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड में स्थित स्कूल एवं कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के विकास से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. गौरतलब है कि हाईकोर्ट इस मामले में लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है. पहले भी हाईकोर्ट ने वकीलों की एक टीम गठित कर निरीक्षण करने का निर्देश दिया था. इस टीम में अधिवक्ता सूर्या नीलांबरी, अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय, अधिवक्ता आयुष अभिषेक एवं अन्य अधिवक्ता शामिल थे.
2 हफ्ते बाद होगी सुनवाई: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि बिहार में अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है. पहले यहाँ पर कक्षा एक से लेकर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी. लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में आया तबसे इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.