पटना:राजधानी के विद्यापति मार्ग पर कला एवं शिल्प के लिए राज्य का एकमात्र महाविद्यालय स्थित है. यह ललित एवं मूर्तिकला में बिहार झारखंड का एकलौता कॉलेज है. जहां इंटर पास छात्र बैचलर ऑफ फाइन आर्ट की पढ़ाई करते हैं. यहां पढ़ने वाले छात्रों की दशा बेहद दयनीय है. दरअसल, इन छात्रों के लिए बना छात्रावास खंडहर हो चुका है.
आलम यह है कि हॉस्टल के बाहर से ही अंदर की स्थिति का पता लग जाता है. मेन गेट पर बिजली का तार खुला लटका हुआ है. अंदर घुसते ही बिजली तारों का जाल दिखता है, जो हादसों को न्योता दे रहा है. छात्र बताते हैं कि महीने भर से हॉस्टल का मोटर जला हुआ है. जिस कारण पानी की गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हॉस्टल में पीने का शुद्ध पानी तक नहीं है.
कब हुआ था निर्माण ?
बता दें कि बैचलर ऑफ फाइन आर्ट की पढ़ाई 4 साल की होती है. इस संस्थान की स्थापना 25 जनवरी 1939 को हुई थी. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी इस कॉलेज के सदस्य रहे हैं. इस छात्रावास में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
खराब पड़े वाटर फ्यूरीफायर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव
छात्रों ने बताया कि पीने के पानी या किसी अन्य जरूरी कामों के लिए एक मात्र साधन सप्लाई वाटर है, जो अपने समय पर आता है. छात्रों को पानी स्टोर करके रखना पड़ता है. हॉस्टल में साफ-सफाई का हाल भी बहुत खराब है. परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसे में छात्रों को काफी परेशानी होती है. छात्र आए दिन बीमार पड़ते रहते हैं.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट फंड की कमी के कारण बढ़ रही कुव्यवस्था
कॉलेज की मूर्ति कला विभाग के अध्यापक और हॉस्टल के इंचार्ज विनोद कुमार ने बताया कि हॉस्टल में पानी की समस्या के बाबत वह बीते 15 दिनों से पीएचईडी विभाग को लेटर लिख रहे हैं. लेकिन, विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि पानी एक गंभीर समस्या है और हॉस्टल में पानी की वैकल्पिक व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि छात्रावास में फंड की कमी के कारण कुव्यवस्था बढ़ती जा रही है.