पटना: केंद्र सरकार द्वारा बहुचर्चित प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना लागू की गई, लेकिन बिहार में इस योजना के तहत लाभार्थियों को जोड़ने की रफ्तार काफी धीमी है. सितंबर 2018 में योजना की शुरुआत हुई थी. बिहार के करीब 5.55 करोड़ गरीब लोगों को इससे जोड़ने का लक्ष्य था. करीब ढाई साल बीतने के बाद भी अभी तक 10% लोगों के ही कार्ड बन पाए हैं.
5.55 करोड़ लोगों को जोड़ने का है लक्ष्य
केंद्र सरकार द्वारा कहा गया था कि बिहार के 5.55 करोड़ गरीबों को इस योजना से जोड़ा जाएगा. स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की रफ्तार को देखते हुए यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण दिख रही है. योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा लाभुक परिवार के लोगों को हेल्थ कार्ड दिए जाने हैं. कार्डधारी योजना में शामिल सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज करा सकते हैं.
राज्य भर में अभी तक कुल 53 लाख 73 हजार 514 लोगों का ई कार्ड जनरेट किया गया है. इसके वास्तविक लाभार्थियों की संख्या करीब 5.55 करोड़ है. योजना के तहत इलाज के विभिन्न प्रकार के 13 से 93 प्रकार के पैकेज निर्धारित किए गए हैं. इसके तहत मरीजों पर होने वाले खर्च की भरपाई अस्पतालों को की जाएगी.
यह भी पढ़ें-वैश्विक महामारी: 2020 में स्वस्थ जीवन का सहारा 'आयुष्मान भारत योजना'
1 साल में 5 लाख तक का करा सकते हैं इलाज
बिहार में आयुष्मान भारत योजना को संचालित करने के लिए बिहार राज्य स्वास्थ्य सुरक्षा समिति का गठन किया गया है. कमेटी द्वारा लाभार्थियों को कार्ड बनवाने से लेकर अस्पतालों के निबंधन करने तक का काम किया जाना है. इस योजना के तहत राज्य के 607 सरकारी और 264 निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है. कार्ड धारी मरीज इन अस्पतालों में 1 साल में 5 लाख तक का मुफ्त इलाज की सुविधा ले सकता है. इसमें ओपीडी, भर्ती, आईसीयू और ऑपरेशन से लेकर दवा तक की सुविधा शामिल है.