पटनाः विश्वभर में कोरोना महामारी अपना पांव पसार चुकी है. इस बीमारी का अब तक कोई कारगर इलाज नहीं मिल पाया है. यूं तो कोरोना वायरस संक्रमण के कई लक्षण हैं, लेकिन इस बीमारी की चपेट में आए व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होना कॉमन है.
राज्य सरकार ने शुरूआती लक्षण वाले कोरोना मरीजों को घर में ही होम आइसोलेशन में रहने का दिशा-निर्देश जारी किया. जिसके बाद ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड बढ़ गई.
पटना से कृष्ण नंदन की रिपोर्ट कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीज
सरकार के होम आइसोलेशन के निर्देश के बाद लोगों में बेचैनी बढ़ गई. कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीज भी अपने घरों में ऑक्सीजन सिलेंडर स्टॉक में मंगाकर रखने लगे. जिससे वे समय पर इसका इस्तेमाल कर सके. हालांकि अधिकांश मामलों में यह देखने को मिला कि हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत नहीं पड़ी. जिसके बाद उन्होंने वेंडर को आइसोलेशन पीरियड पूरा होने पर भरा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर वापस लौटाया.
ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई सांस लेने में तकलीफ
कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन सिलेंडर की पैनिक रूप से खरीदारी धीरे-धीरे अब न के बराबर हो गई है. लोगों में अब ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर विशेष बेचैनी नहीं है. किसी को अगर सांस लेने में तकलीफ होती है तो वे अस्पतालों का रुख कर रहे हैं. कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक भी मानते हैं कि बिना चिकित्सीय परामर्श के ऑक्सीजन सिलेंडर यूज करना खतरनाक हो सकता है.
होम आइसोलेशन का प्रावधान
पटना के प्रतिष्ठित संस्थान पीएमसीएच में कोरोना जांच के प्रभारी वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राणा एनके सिंह ने कहा कि जिन कोरोना मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं हैं उनके लिए होम आइसोलेशन का प्रावधान है. ऐसे मरीजों का ऑक्सीजन सैचुरेशन नॉर्मल होता है और उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत नहीं होती है.
'पैनिक हो रहे कोरोना पेशेंट'
डॉ. राणा एनके सिंह ने कहा कि होम आइसोलेशन वाले कोरोना पेशेंट काफी पैनिक हो जा रहे हैं. वह अपने साथ ऑक्सीमीटर रखे हुए हैं व लगातार पल्स रेट चेक कर रहे हैं. थोड़ी भी तकलीफ होने पर ये मरीज ऑक्सीजन सिलेंडर ढूंढने लग रहे हैं. उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन वाले मरीज अचानक सांस लेने में तकलीफ होने के डर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा कर रख रहे हैं.
कोविड-19 केयर सेंटर में किया जा रहा भर्ती
कोरोना जांच के प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि जिन कोरोना मरीजों को सांस लेने में हल्की भी तकलीफ होती है उन्हें कोविड-19 केयर सेंटर में एडमिट किया जाता है. उन्होंने कहा कि अधिकांश कोरोना मरीज होम आइसोलेशन से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. उन्हें भरा हुआ ऑक्सीजन सिलेंडर वेंडर को वापस करना पड़ा है.
ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था
पीएमसीएच के डॉक्टर ने कहा कि कोरोना पेशेंट के लिए सिर्फ ऑक्सीजन ही एक सॉल्यूशन नहीं है. मरीज के दम फूलने की स्थिति में निबु- लाइजेशन की जरूरत पड़ती है. अगर किसी मरीज को ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन चाहिए ये ऑक्सीजन सिलेंडर से संभव नहीं है. इसके लिए अस्पतालों में पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है जिसमें मात्रा की जरूरत के अनुसार पेशेंट को ऑक्सीजन दिया जाता है.
जल्द स्वस्थ्य हो जाएंगे मरीज
पीएमसीएच के कोविड-19 सेंटर के प्रभारी चिकित्सक सह अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अरुण अजय ने कहा कि होम आइसोलेशन वाले पेशेंट को बिल्कुल भी बेचैन होने की जरूरत नहीं है. पेशेंट घर में आराम, सादा भोजन, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करें, चेहरे पर मास्क लगाकर रखें और इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए जो कुछ भी उपाय है वे करें तो वे जल्द स्वस्थ्य हो जाएंगे.
मेडिकेशन की जरूरत
अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ अरुण अजय ने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर घर में रखने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर किसी कोरोना मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है तो उसे ऑक्सीजन के साथ-साथ मेडिकेशन की भी जरूरत पड़ती है.
'ऑक्सीजन सिलेंडर लगाना खतरनाक'
प्रभारी चिकित्सक ने कहा कि बिना डॉक्टरों की सलाह के घर में मरीज को ऑक्सीजन सिलेंडर लगाना बेहद खतरनाक है. उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.
'डॉक्टरों से लें सलाह'
डॉ अरुण अजय ने कहा कि मरीज को सरकारी अस्पतालों में ही एडमिट होने की कोशिश करनी चाहिए. इन अस्पतालों में बेड काफी संख्या में खाली है. साथ ही इलाज निशुल्क है और एक्सपर्ट चिकित्सकों के साथ एक्सपर्ट नर्सिंग स्टाफ मरीजों की देखरेख में लगे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र वाले मरीज को पीएचसी और सीएचसी में जाकर डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए.
अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी
पीएमसीएच के चिकित्सक ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी होने की बात पूरी तरह से भ्रामक और गलत है. पीएमसीएच के साथ सभी अस्पतालों में पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की जितनी जरूरत मरीज को होती है उतनी मात्रा में उन्हें अक्सीजन दी जाती है. पाइप लाइन में ऑक्सीजन सप्लाई का कोई लिमिट नहीं है और इसमें 50 केजी पर मिनट की दर से यह सप्लाई की जा सकती है.
गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों की मौत
डॉ अरुण अजय ने कहा कि कोरोना मरीजों की मौत सांस की तकलीफ से नहीं बल्कि पहले से दूसरी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की वजह से हो रही है. प्राइवेट अस्पतालों और लोगों के घरों पर ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाले सप्लायर संतोष ने बताया कि शुरुआती दिनों में इसे लेकर काफी मारामारी रही, लेकिन अब यह न के बराबर रह गया है. उन्होंने कहा कि तीन प्रकार की ऑक्सीजन सिलेंडर होते हैं
सिलेंडर की कीमत
संतोष ने बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर की होम डिलीवरी के दौरान वह ग्राहकों से 5 हजार रुपये सिक्योरिटी मनी लेते हैं और अगर कोई परिचित हो तो उनसे वह सिक्योरिटी मनी नहीं लेते. उन्होंने बताया कि छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर डेढ़ सौ रुपये में देते हैं और बड़ा 45 केजी का ऑक्सीजन सिलेंडर वह 300 रुपये में देते हैं.
'बिना यूज किए लौट गए सिलेंडर'
सप्लायर ने कहा कि छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर जहां डेढ़ से 2 घंटे चलता है वहीं बड़ा ऑक्सीजन सिलेंडर 8 से 9 घंटे चलता है. संतोष ने बताया कि कई घरों से ऑक्सीजन सिलेंडर बिना यूज किए ही वापस लौट गए. उन्होंने बताया कि शहर में ऑक्सीजन सिलेंडर की बिल्कुल भी कमी नहीं है और अभी के समय लोग अब अपने घरों में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मंगा रहे हैं.