लोकसभा चुनाव में सीमांचल पर सबकी नजर पटनाः बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी अभी से चल रही है. उसके अगले साल विधानसभा चुनाव भी है, जिस कारण राजनीतिक पार्टियां पूरा जोर लगाई है. BJP और नीतीश कुमार का सीमांचल दौरा के बाद AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी सीमांचल दौरे पर हैं. ऐसे में बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ गया है. इससे बिहार की राजनीति में खासा असर देखने को मिलेगा. सीमांचल में बीजेपी, महागठबंधन और ओवैसी की पार्टी लगातार कार्यक्रम कर रही है.
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ओवैसी की नजर पर तेजस्वीःबिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सबसे पहले पूर्णिया में अमित शाह ने बड़ी रैली की थी. महागठबंधन की तरफ से भी पूर्णिया में बड़ी रैली की गई है. अब दो दिनों तक असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल अधिकार यात्रा की है. ओवैसी के तरफ से तेजस्वी यादव के साथ नीतीश कुमार को भी निशाना बनाया जा रहा है. सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है और AIMIM मुस्लिमों की ही पॉलिटिक्स करती है. उस वोट बैंक पर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार भी दावेदारी करते रहे हैं.
2020 विस चुनाव से मिलेगी सीखः 2020 में भी एआईएमआईएम ने चुनौती दी थी और अब एक बार फिर से चुनौती देना शुरू कर दिया है. इसके कारण महागठबंधन खेमे में खलबली मची है. आरजेडी और जदयू के तरफ से AIMIM को भी टीम बता कर मुस्लिम वोट बैंक को छिटकने से बचाने की कोशिश भी हो रही है. 2020 विस चुनाव में AIMIM को 5 सीटों पर जीत मिली थी और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचते-पहुंचते रह गए थे. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत नहीं पाए.
एमवाई समीकरण ध्वस्तःAIMIM के जीते 5 विधायकों में से चार विधायक टूटकर आरजेडी में शामिल हो चुके हैं. इसलिए असदुद्दीन ओवैसी के निशाने पर तेजस्वी यादव अधिक हैं. ऐसे नीतीश कुमार को भी घेरने की कोशिश ओवैसी कर रहे हैं. लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक मुस्लिम और यादव वोट बैंक पर एकछत्र राज करते रहे हैं. नीतीश कुमार ने जरूर लालू प्रसाद यादव के मुस्लिम वोट पर डेंट किया था. फिलहाल नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ हैं, लेकिन जब से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की बिहार में दमदार एंट्री हुई है, एमवाई समीकरण ध्वस्त हुआ है.
असदुद्दीन ओवैसी की नाराजगी तेजस्वी यादवः तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी के कुछ उम्मीदवार जीत गए, लेकिन सीमांचल और मिथिलांचल में मुस्लिम आबादी अधिक है. उम्मीद के अनुरूप तेजस्वी यादव को इन इलाकों में सफलता नहीं मिली, क्योंकि यहां AIMIM ने आरजेडी के वोट बैंक में बड़ा डेंट किया. हालांकि नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने और महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद तेजस्वी यादव जरूर उप मुख्यमंत्री बन गए. तेजस्वी AIMIM के 5 में से 4 विधायकों को अपने में मिला लिया. इसके कारण भी असदुद्दीन ओवैसी की नाराजगी तेजस्वी यादव से अधिक है.
"बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद 26 फरवरी को जिस प्रकार से पूर्णिया में महागठबंधन की रैली हुई है, उससे बीजेपी घबरा गई है. और इसलिए अपनी बी टीम को उतारी है. 2020 में सीमांचल की जनता भ्रम जाल में फंस गई थी लेकिन इस बार भ्रम जाल में फंसने वाली नहीं है."एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी
लोकसभा में भी सीमांचल से एंट्रीःराजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे ने कहा कि सीमांचल इलाका पिछड़ा इलाका है. शिक्षा स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं में स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. इसी को ओवैसी मुद्दा बना रहे हैं. सीमांचल इलाके में 4 लोकसभा और 24 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. ओवैसी की पार्टी की पूरी कोशिश है कि इस बार लोकसभा में भी सीमांचल से एंट्री हो जाए. इसलिए निशाना बीजेपी से अधिक तेजस्वी यादव पर साध रहे हैं. सीमांचल के पिछड़ापन को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं.
"असदुद्दीन ओवैसी की नजर सीमांचल के किशनगंज अररिया पूर्णिया और कटिहार लोकसभा क्षेत्र पर है. इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इसके अलावा 40 से अधिक बिहार में मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट भी है तो उस पर भी उनकी नजर है, क्योंकि आरजेडी जदयू और कांग्रेस मुस्लिम पॉलिटिक्स करती रही है. ऐसे में तय है AIMIM उन्हें ही झटका देगी."-अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
सीमांचल में 24 सीट पर खेलःदो दिवसीय सीमांचल अधिकार यात्रा में AIMIM प्रमुख ओवैसी ने बीजेपी की सरकार के साथ बिहार की सरकार पर भी निशाना साधा है, लेकिन बीजेपी से अधिक तेजस्वी यादव को घेरने की कोशिश हुई है. ऐसे तो बिहार में 41 से अधिक मुस्लिम बहुल विधानसभा है, लेकिन सीमांचल में 24 सीट ऐसे हैं, जिस पर मुस्लिम वोट बैंक जीत हार का फैसला करते हैं. 4 लोकसभा सीट में भी मुस्लिम ही जीत हार तय करते रहे हैं. ओवैसी कोई सीट जीत न पाए तो इतना तय है मुस्लिम वोट बैंक पर दावा करने वालों को झटका जरूर दे देंगे. इसका सीधा लाभ बीजेपी को हो सकता है.
"देश में किसी भी दल को कहीं भी जाकर अपनी तैयारी करने की छूट है, लेकिन कुछ दल मुस्लिमों को अपना प्रॉपर्टी समझते रहे हैं. और वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं. बीजेपी सीमांचल में सरकार बनने के बाद ऐसा विकास करेगी कि पूरे बिहार को वह इलाका खिलाएगा. कुछ दलों को डर है कि मुस्लिम कहीं बीजेपी के साथ न चला जाए."-अरविंद सिंह, प्रवक्ता बीजेपी