पटना: कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए मार्च में जब लॉकडाउन लगाया गया तो इसका असर सभी जगह देखने को मिला. बिहार के अस्पतालों में स्वास्थ सेवाएं चरमरा गईं. सभी का ध्यान कोरोना पर केंद्रित रहा. अनलॉक शुरू होने पर धीरे-धीरे अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं पहले की तरह सुचारू करने का प्रयास किया गया, लेकिन अब तक इसका असर दिख रहा है.
बिहार के जनरल और सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया काफी प्रभावित हुई. लॉकडाउन के समय यह लगभग बंद ही हो गई थी. लॉकडाउन हटने के बाद धीरे-धीरे फिर से अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू हुई. हालांकि अभी भी काफी कम ऑर्गन ट्रांसप्लांट हो रहे हैं.
लॉकडाउन के समय न हुए कॉर्निया ट्रांसप्लांट
पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के प्राचार्य डॉक्टर विद्यापति चौधरी ने बताया "निश्चित तौर पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पर कोरोना का असर पड़ा है. अस्पताल में वर्तमान समय में कॉर्निया ट्रांसप्लांट होता है, जिसे आम भाषा में आई ट्रांसप्लांट कहा जाता है. इसके अलावा किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने पर काम चल रहा है. बीएमएसआईसीएल कंपनी द्वारा मशीन इंस्टॉल किया जाना है."
"लॉकडाउन के समय ना के बराबर कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुए. अनलॉक के बाद धीरे-धीरे अस्पतालों में कॉर्निया ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. लॉकडाउन के कारण कॉर्निया डोनर की संख्या काफी घटी है. कॉर्निया की कमी के कारण अभी अस्पताल में सामान्य की तरह कॉर्निया ट्रांसप्लांट नहीं हो रहे हैं."- डॉक्टर विद्यापति चौधरी, प्राचार्य, पीएमसीएच
आईजीआईएमएस में जल्द शुरू होगा हार्ट ट्रांसप्लांट
बेली रोड स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईजीआईएमएस) के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि "आईजीआईएमएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल है. यहां कई प्रकार के ऑर्गन ट्रांसप्लांट होते हैं. यहां अब तक सैकड़ों कॉर्निया ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. लगभग 70 किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुके हैं. लिवर ट्रांसप्लांट जटिल है. यह हाल में ही शुरू हुआ है. इसलिए अब तक दो सफल लिवर ट्रांसप्लांट हुए हैं. एक लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सर्जरी में 14 से 18 घंटे का समय लगता है. इसके अलावा अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट की भी सुविधा शुरू करने पर काम चल रहा है. कोरोना का असर कम होते ही जल्द ही इसे भी शुरू कर दिया जाएगा."
डॉक्टर मनीष मंडल ने कहा "कोरोना के कारण ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पर काफी असर पड़ा है. सिर्फ बिहार में ही नहीं, पूरी दुनिया में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पर इसका असर पड़ा है. जब किसी मरीज में ऑर्गन ट्रांसप्लांट करना होता है तो उसके इम्यून सिस्टम को कमजोर करने के लिए इम्यूनोकॉम्प्रोमाइजेसन की दवा दी जाती है. यह स्थिति कोरोना के लिए काफी फेवरेबल है. डॉक्टर नहीं चाहते कि ऑर्गन डोनर कोरोना की चपेट में आए और जिसमें ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया वह भी कोरोना की चपेट में आए. यह बहुत ही खतरनाक हो सकता है और यही वजह है कि कोरोना काल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट ना के बराबर हुए."
कोरोना काल में कम हुए डोनर
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने कहा "कोरोना काल में ऑर्गन डोनर भी कम हुए हैं. बिहार में ब्रेन डेड व्यक्ति के परिवार की तरफ से अभी भी ऑर्गन डोनेट करने के प्रति जागरूकता काफी कम है. अभी के समय प्रयास यह है कि स्वस्थ व्यक्ति से ऑर्गन लेकर किसी में ट्रांसप्लांट करने की जगह ब्रेन डेड व्यक्ति का ऑर्गन लेकर जरूरतमंद व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाए. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ऑर्गन डोनेशन की संख्या भी काफी कम हुई है. साल 2020 के मार्च महीने तक 5 किडनी ट्रांसप्लांट और लगभग 15 कॉर्निया ट्रांसप्लांट आईजीआईएमएस हॉस्पिटल में हुए. मार्च के बाद लॉकडाउन के समय यह प्रक्रिया बंद सी पड़ गई थी. अनलॉक के बाद अस्पताल में कुछ कॉर्निया ट्रांसप्लांट जरूर हुए, लेकिन अन्य कोई दूसरे ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं हुए."
आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल "कोरोना अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही यह संक्रमण काल खत्म हो जाएगा, जिसके बाद फिर से अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया सुचारू रूप से शुरू हो जाएगी. आईजीआईएमएस बिहार का पहला अस्पताल बना था जहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हुई थी. अब यहां के डॉक्टर राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में कॉर्निया ट्रांसप्लांट का प्रशिक्षण देते हैं. यहां के डॉक्टर अपनी देखरेख में राज्य के दूसरे मेडिकल कॉलेजों में कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराते हैं."- डॉ. मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस