पटनाःबिहार में जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी गई है. इसके बाद राजद और जदयू नेता अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं. दूसरी ओर विपक्ष की ओर से इस रिपोर्ट को गलत बताया जा रहा है. इधर, प्रशांत किशोर ने इसे चुनावी माहौल बताया. उन्होंने कहा कि जेडीयू और आरजेडी का यह अंतिम दांंव है और यह लोग आग लगाकर राजनीतिक रोटी सेंक रहे है. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार भी निशाना साधा.
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'चुनावी नैया पार कराने में लगे हैं नीतीश': जन सुराज संयोजक प्रशांत किशोर ने बताया कि इनलोगों को समाज की बेहतरी से कोई लेना देना नहीं है. सीएम नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के नाम पर अंतिम दाव खेले हैं, जिसके माध्यम से एक बार फिर से किसी तरह सीएम बन जाए. चुनावी नैया पर कराने के लिए यह किया गया है.
"जातिगत जनगणना कराने वाले को समाज की बेहतरी से लेना-देना नहीं है. ये तो एक अंतिम दाव खेले हैं कि समाज को जाति में बांटकर किसी तरह एक बार चुनाव की नैया पार लगा लिया जाए. नीतीश कुमार जातिगत जनगणना के नाम पर फिर से सीएम बनना चाहते हैं."-प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'18 साल बाद क्यों पड़ी जरूरत': प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार के इस सर्वे को लेकर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पिछले 18 साल से सत्ता में हैं. तो इन 18 साल में यह काम क्यों नहीं कराया गया. आज इसकी जरूरत क्यों पड़ गई. प्रशांत ने कहा कि बिहार में गरीबी तो आंख से दिखती है. गांव और पंचायत में देखने पर साफ साफ पता चलता है, तो इसमें सुधार क्यों नहीं किया गया? सरकार के पास दलित, मुस्लमान और गरीबों की रिपोर्ट पहले से है तो इसमें सुधार क्यों नहीं किया गया?
"नीतीश कुमार 18 साल से सत्ता में हैं तो आज इसकी जरूरत क्यों पड़ी, इससे पहले क्यों नहीं कराया गया. बिहार की गणना हो चुकी है कि 13 करोड़ लोग देश के सबसे गरीब लोग हैं, इनकी दशा क्यों नहीं सुधरी.?"-प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'विरोधी भी अपनी रोटी सेकने में लगे हैं': प्रशांत ने विरोधियों को भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को सुझाव दूंगा कि विरोध मत कीजिए. समाज में कोई वर्ग अगर सही मायने में पीछे छुटा हुआ है. सरकार उसका सर्वे करा रही है तो क्या दिक्कत है" सरकार जान बूझकर विपक्ष को उलझा रही है. कोई यह चर्चा नहीं कर रहा है कि बिहार में पढ़ाई हो रही है या नहीं. सब अपनी रोटी सेकने में लगे हैं.
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