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'बिहार की राजनीति में आज भी सबसे 20 हैं नीतीश' - भीड़ से नीतीश की लोकप्रियता आंकना सही नहीं

जेडीयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में भीड़ न आने को लेकर प्रदेश में सियासत तेज है. एक ओर जहां विपक्ष नीतीश की लोकप्रियता कम होने के दावे कर रहा है तो वहीं सत्ता पक्ष के लोग दावे को फेल बताते हुए जवाब दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

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Published : Mar 2, 2020, 7:35 PM IST

पटना: जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन को लेकर बिहार में सियासत शुरू है. एक ओर जहां विपक्ष इसे सुपर फ्लॉप बताने में लगा है तो वहीं सत्ताधारी दल उम्मीद के अनुरूप सफल होने का दावा करते नजर आ रहे हैं. इस सम्मेलन पर विशेषज्ञों से उनकी राय पूछने पर उनका कहना है कि केवल भीड़ नहीं पहुंचने से नीतीश कुमार की लोकप्रियता घट गई, ये कहना सही नहीं होगा.

ईटीवी भारत संवाददाता अविनाश की रिपोर्ट

विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार आज भी दूसरे नेताओं के मुकाबले चुनाव में बीस साबित हो सकते हैं. दरअसल, 1 मार्च को जेडीयू ने गांधी मैदान में कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाया. जहां कम भीड़ को लेकर आरजेडी लगातार आरोप लगा रही है. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि जेडीयू कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान गांधी का एक कोना भी आधा नहीं भर सका.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

सत्ता पक्ष दे रहा जवाब

वहीं, जेडीयू की ओर से सम्मेलन सफल होने का दावा किया जा रहा है. मंत्री मदन सहनी का कहना है पार्टी ने जो उम्मीद लगाई थी उसके अनुरूप भीड़ पहुंची. नीतीश कुमार का संदेश लेकर कार्यकर्ता वापस लौटे हैं. निश्चित तौर पर जेडीयू आगामी विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीट जीतेगी.

सम्मेलन को संबोधित करते सीएम नीतीश (फाइल फोटो)

'भीड़ से नीतीश की लोकप्रियता आंकना सही नहीं'

सम्मेलन में पहुंची भीड़ की सियासत पर विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता निश्चित तौर से घटी है. लेकिन, केवल भीड़ के आधार पर ऐसा कहना सही नहीं है. नीतीश कुमार ने काम किया है. आज बिहार में दूसरे नेताओं के मुकाबले वे सबसे लोकप्रिय हैं.

डीएम दिवाकर, विशेषज्ञ

'सब पर भारी पड़ेंगे नीतीश'

वहीं, विशेषज्ञ एन के चौधरी कहते हैं कि यदि आज बिहार में चुनाव हो तो भी नीतीश कुमार सब पर भारी पड़ेंगे. कार्यकर्ता सम्मेलन में भीड़ नहीं आने के पीछे मिसमैनेजमेंट हो सकता है. ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाकर बूथ लेवल पर उसकी समीक्षा करनी चाहिए. इसके अलावा सम्मेलन के दौरान कार्यकर्ताओं को लाने ले जाने की व्यवस्था ठीक थी तो ये भी एक बड़ी वडह हो सकती है.

एन के चौधरी, विशेषज्ञ

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चुनावी साल में सम्मेलन पर सियासत

बहरहाल, चुनावी साल में जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन पर सियासत शुरू है. विपक्ष की ओर से लगातार कोशिश हो रही है यह मैसेज देने की कि नीतीश अब लोकप्रिय नहीं रहे. लेकिन, विशेषज्ञ इसे मानने को राजी नहीं नजर आ रहे हैं.

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