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..तो ये है Mission 2024 को लेकर नीतीश का मास्टर प्लान, विधायकों और सांसदों से 121 बार कर चुके हैं मुलाकात - ईटीवी भारत बिहार

बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. एक तरफ एनडीए अपना कुनबा बढ़ा रहा है तो वहीं महागठबंधन विपक्षी एकजुटता के चलते परिणामों में चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठा है. इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव अहम है और प्रतिष्ठा का सवाल भी है. ऐसे में नीतीश कुमार नए सिरे से रणनीति पर काम कर रहे हैं. जानें क्या है नीतीश का प्लान..

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Published : Aug 9, 2023, 8:37 PM IST

लोकसभा चुनाव की तैयारी में JDU

पटना:मिशन 2024 को लेकर नीतीश कुमार ने बिहार में जदयू नेताओं को क्षेत्र में रहने का निर्देश दिया है. पार्टी की ओर से आधा दर्जन से अधिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और आने वाले दिनों में कई कार्यक्रम और शुरू होने वाले हैं. 2024 को लेकर नीतीश कुमार सतर्क हैं. बिहार में ना तो आरजेडी और ना ही विरोधी भाजपा की तरफ से इतने कार्यक्रम चल रहे हैं, जितना जदयू की तरफ से चलाया जा रहा है.

पढ़ें-Mission 2024: महागठबंधन और NDA के बीच होगी कांटे की टक्कर, पहली बार लालू-नीतीश साथ लड़ेंगे चुना

मिशन 2024 में जुटे नीतीश:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति के चतुर खिलाड़ी माने जाते हैं. बिहार में पिछले 18 सालों से सत्ता के केंद्र में हैं. बड़े और चौंकाने वाले फैसलों से नीतीश सबको हैरानी में डाल देते हैं. 9 अगस्त 2022 को 1 साल पहले बीजेपी से अलग होकर महागठबंधन के साथ सरकार बनायी थी और अब 2024 मिशन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काम कर रहे हैं.

विधायकों और सांसदों से 121 बार मुलाकात: बीजेपी के खिलाफ पूरे देश में नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता का प्रयास कर रहे हैं. विपक्षी एकजुटता के नीतीश सूत्रधार भी बने हुए हैं, लेकिन सबसे चौंकाने वाला फैसला बिहार में ले रहे हैं. बिहार में जदयू के विधायकों और सांसदों से 121 बार मुलाकात कर उन्हें क्षेत्र में रहने का निर्देश दिया है. साथ ही पूर्व विधायक, पूर्व सांसद को भी क्षेत्र में रहने के लिए कहा है.

"2024 में बीजेपी को सत्ता से कैसे हटाया जाए इसको लेकर हम लोग मैदान में मजबूती से तैयारी कर रहे हैं. हम पूरी तरह से अलर्ट हैं."- जयंत राज, लघु जल संसाधन मंत्री, बिहार

चलाए जा रहे कई अभियान: कुल मिलाकर पार्टी के संगठन से जुड़े हुए नेता या चुने हुए जनप्रतिनिधि को पटना की जगह अपने अपने क्षेत्र में नीतीश कुमार ने तैनात रहने का निर्देश दिया है. इसके साथ जदयू की ओर से आधा दर्जन से अधिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. कर्पूरी चर्चा अगले साल 24 जनवरी तक चलेगी. इसके माध्यम से अति पिछड़ों को लुभाने की कोशिश हो रही है. व्यवसायिक प्रकोष्ठ की ओर से हाटे बजारे नीतीशे कुमार अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें प्रशिक्षण से लेकर जागरूकता अभियान है और व्यवसायियों को लुभाने की कोशिश हो रही है.

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5 अगस्त से भीम संवाद: इसी तरह मुसलमानों को लुभाने के लिए भाईचारा अभियान भी चल रहा है. इसमें भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लगाया गया है. इसके साथ 15 अगस्त से भीम संवाद भी शुरू होगा. 15 अगस्त से 31 अगस्त तक 8000 से अधिक पंचायतों में पार्टी नेताओं को दलित बस्ती में जाने का निर्देश दिया गया है. जदयू के विभिन्न प्रकोष्ठों को चाहे वह शिक्षा प्रकोष्ठ हो चिकित्सक प्रकोष्ठ हो सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा जिले में लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं.

"बीजेपी ने नफरत फैलाने का काम किया है. भाईचारा और प्रेम को खत्म किया है. हम प्रेम, भाईचारा और आपस में मिलत पैदा करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि नफरत का बाजार खत्म हो मोहब्बत की बाजार कायम हो."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार

"पार्टी को धारदार बनाने के लिए लगातार अभियान चलता रहता है. अभी जो कार्यक्रम चल रहे हैं उसी का एक हिस्सा है."-लेसी सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री, बिहार

बीजेपी का दावा- नरेंद्र मोदी की जीत तय: बीजेपी का कहना है कि नीतीश कुमार हताश और निराश हैं क्योंकि बिहार की जनता के साथ उन्होंने धोखा किया है. पार्टी के विधान पार्षद अनिल शर्मा का तो यहां तक कहना है कि जनता इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही चुनने वाली है. नीतीश कुमार इसी से परेशान होकर कई तरह के कार्यक्रम चला रहे हैं.

"जनता ने तय कर लिया है कि कितना भी प्रयास किया जाए नरेंद्र मोदी को पीएम बनाएंगे. इसी बात को लेकर नीतीश कुमार हताश और निराश हैं."-अनिल शर्मा, बीजेपी एमएलसी

क्या है नीतीश की सतर्कता का कारण?: लोकसभा चुनाव में आठ से नौ महीना अभी समय है, लेकिन नीतीश की तैयारी से सवाल उठने लगा है आखिर नीतीश कुमार 2024 चुनाव को लेकर बिहार में इतने सतर्क क्यों है? क्योंकि ना तो सहयोगी आरजेडी की तरफ से इस तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं और ना ही विरोधी बीजेपी की तरफ से. कुल मिलाकर देखें तो जदयू लोकसभा चुनाव को लेकर कार्यक्रमों के मामले में सहयोगी और विरोधी दलों से कहीं आगे दिख रहा है.

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