पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के खिलाफ बीजेपी फोरम में शिकायत करने के मामले पर भारतीय जनता पार्टी की विधायक निक्की हेंब्रम (MLA Nikki Hembram) ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस मामले पर पार्टी फोरम में मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है, बल्कि पार्टी के सामने अपनी बात रखी है. उन्होंंन कहा कि, 'ये हालात कुछ गलतफहमी के चलते पैदा हो गए थे. सीएम नीतीश कुमार हमारे गार्जियन हैं'. हालांकि इस मुद्दे पर सीएमओ की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
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हेंब्रम ने कहा कि जो गलतफहमी है वो आपस में दूर कर लेंगे. मिल बैठकर मामले का समाधान निकालेंगे. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री जी मेरी बात को ठीक ढंग से नहीं समझ सके थे. यही वजह रही है कि इस मसले पर विवाद बढ़ गया. महुआ का मामला उनके क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. इसलिए वो अब भी इस मुद्दे को सीएम नीतीश के सामने रखेंगीं.
'महुआ के वैकल्पिक इंतजामों के लिए मैं अभी भी अडिग हूं. महुआ के प्रतिबंध से गरीब तबके के लोगों को आर्थिक पीड़ा से होकर गुजरना पड़ रहा है. महुआ को लोग सिर्फ शराब के रूप में देखते हैं. शराबबंदी उचित है, इससे हमारे समाज का उत्थान नहीं होता. लेकिन किसी के आर्थिक रिसोर्स को आप बंद कर देंगे तो ये अन्याय है. सीएम को चाहिए कि वो मध्यप्रदेश की तर्ज पर महुआ प्रोसेसिंग की वैकल्पिक व्यवस्था करें'-निक्की हेंब्रम, बीजेपी विधायक
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दरअसल, बीजेपी विधायक ने शराबबंदी को प्रदेश वासियों के लिए वरदान बताते हुए कहा कि शराबबंदी से बहुत लोगों की ज़िंदगी बदली है. लेकिन महुआ बंद कर देने से गरीब तबके के लोगों के सामने चुनौती आ गई है. चूंकि ये मामला उनके क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. इसलिए उन्होंने मुद्दे को उठाया था. सरकार को चाहिए कि इस पर वैकल्पिक व्यवस्था करे. ताकि ऐसे लोगों की ज़िंदगी को बेहतर बनाया जा सके. महुआ के प्रतिबंधित होने से गरीब तबके के लोगों को आर्थिक अड़चनों का सामना करना पड़ता है.
बता दें कि पूरा विवाद एनडीए विधायक दल की बैठक में 'महुआ' को लेकर शुरू हुआ था. बीजेपी विधायक ने बातचीत में बताया कि बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law In Bihar) तो बनाया गया. लेकिन महुआ से होने वाली आमदनी पर निर्भर रहने वाले कुछ हमारे लोगों का सोर्स इससे बंद हो गया है. उन्होंने सुझाव में कहा था कि इस मामले में सीएम नीतीश को चाहिए कि वो महुआ की प्रोसेसिंग के लिए मध्य प्रदेश मॉडल (Mahua processing on the Madhya Pradesh Model) अपनाएं, जिससे खास वर्ग के लोगों की आमदनी का रिसोर्स खत्म न हो. उनकी आमदनी बढ़े और जीवन आसान हो सके. बता दें कि बिहार में महुआ पर प्रतिबंध है. 5 किलो से ज्यादा महुआ घरों में नहीं रखा जा सकता है.
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