पटना:दरभंगा रेलवे स्टेशन ब्लास्ट(Darbhanga Railway Station Blast) मामले में पटना के बेउर जेल (Patna Beur Jail) में बंद चारों आतंकियों को शुक्रवार को एनआईए (National Investigation Agency) के स्पेशल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना था. लेकिन जेल प्रशासन द्वारा मिल रही जानकारी के अनुसार मोहर्रम की वजह से कोर्ट बंद है. ऐसे में सभी चारों आतंकियों की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से नहीं हो सकी है.
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अब इन चारों आतंकियों को शनिवार को एनआईए कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा. दरअसल, दरभंगा ब्लास्ट मामले में आगे बढ़ते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar e Taiba) के आतंकी अब्दुल करीम टुंडा (Terrorist Abdul Karim Tunda) से एक बार फिर पूछताछ करेगी.
दरभंगा ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार हुए नासिर को प्रशिक्षण देने में टुंडा की कथित भूमिका रही है. मिल रही जानकारी के अनुसार आतंकी संगठन लश्कर के आतंकी से स्लीपर सेल और उसके कनेक्शन के बारे में एनआईए अब्दुल करीम टुंडा से जानने की कोशिश करेगी. दरभंगा ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार आतंकी इमरान और उसका भाई नासिर को अब्दुल करीम टुंडा ने वर्ष 2012 में पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी थी.
मध्य दिल्ली के दरियागंज में छत्ता लाल मिया इलाके में एक गरीब परिवार में जन्मे टुंडा ने अपने पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के बाजार कुद्र इलाके से बढ़ई के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की थी. टुंडा ने तीन शादी की. उसने 65 की उम्र में एक 18 वर्षीय लड़की से तीसरा शादी की थी.
इसके बाद उसने कुछ समय तक कबाड़ का कारोबार किया और फिर कपड़ा व्यवसाई भी बना. जानकारी के अनुसार 80 के दशक में पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के गुर्गों के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आने के बाद आतंकी टुंडा ने कट्टरपंथ को अपना लिया था. बताया जाता है कि टुंडा 1996 और 1998 में बम हमले की साजिश रचने के लिए ढाका से भारत लौटा था.
इस दौरान भारत में हुए सभी बम विस्फोटों में टुंडा की संलिप्तता पाई गई थी. जिसके बाद टुंडा गाजियाबाद स्थित अपने घर से 1998 में पाकिस्तान होते हुए बांग्लादेश चला गया था. इतना ही नहीं, साल 2010 में भारत में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों से ठीक पहले श्रृंखलाबद्ध विस्फोट करने की भी कोशिश टुंडा द्वारा की गई थी.
1992 में भारत से बांग्लादेश भागे टुंडा ने बांग्लादेश और बाद में पाकिस्तान में आतंकियों को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था. इसके बाद, लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात आतंकवादी और बम निर्माता सैयद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को स्पेशल सेल ने भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया था. 26/11 के मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान को सौंपे गए डोजियर में टुंडा का नाम 15वें स्थान पर था. बताया जाता है कि टुंडा, माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम का सहयोगी भी है. इसका परिवार पाकिस्तान में रहता है.
आतंकवादी टुंडा ने 6 सितंबर 1993 को इंटरसिटी ट्रेन में विस्फोट किया, जिसमें 2 लोग मारे गए थे. उसी समय उसका नाम सामने आया था. वर्ष 1996 में उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था. सीबीआई ने टुंडा को जम्मू कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के बड़े हमले का आरोप लगाया था. इसमें मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, रोहतक और जालंधर में हुए 43 विस्फोट शामिल हैं, जिनमें 20 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 400 लोग घायल हुए थे.
टुंडा पर 1996 में पुलिस हेड क्वार्टर के सामने बम धमाके करने का भी आरोप लगा था. इसके अलावा लाजपत नगर बम धमाके का भी आरोपी है. दरअसल 2000 में ऐसी खबरें आई थी कि टुंडा बांग्लादेश में मारा गया है, लेकिन 2005 में जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रजाक मसूद को पकड़ा, तब टुंडा के जिंदा होने का खुलासा हुआ. 70 वर्षीय टुंडा पर 33 क्रिमिनल केस और 40 बम धमाकों का आरोप है.
बता दें कि 17 जून को बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर सिकंदराबाद से आए कपड़े के बंडल वाले पार्सल में ब्लास्ट हुआ था. तभी से एटीएस मामले की जांच कर रही थी. बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया था. इसी सिलसिले में अब एनआईए अब्दुल करीम टुंडा से पूछताछ करेगी. फिलहाल, टुंडा यूपी के डासना जेल में कैद है.
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