पटना: नवरात्रि के प्रथम दिन देवी के शैलपुत्री स्वरुप की उपासना की जाती है. इस दिन मूलाधार चक्र से जुड़ी हुई समस्याओं को दूर किया जा सकता है. नवरात्रि वर्ष में चार बार पड़ती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन. नवरात्रि से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है. मन में उल्लास, उमंग और उत्साह की वृद्धि होती है.
नवरात्रि की पूजा विधि
सबसे पहले घर में मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. इसके ऊपर केसर से 'शं' लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें. तत्पश्चात हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें, और इस मंत्र का जाप करें.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:
मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां की तस्वीर के ऊपर छोड़ दें. इसके बाद प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें. ध्यान रहे इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें.
मंत्र - ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
शैलपुत्री का ध्यान मंत्र
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
अर्थात- देवी वृषभ पर विराजित हैं. शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है. यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए.
कलश स्थापना के नियम
- नवरात्रि में जीवन के समस्त भागों और समस्याओं पर नियंत्रण किया जा सकता है.
- नवरात्रि के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए.
- नियमित खान पान में जौ और जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए.
- इन दिनों तेल, मसाला और अनाज कम से कम खाना चाहिए.
- कलश की स्थापना करते समय जल में सिक्का डालें.
- कलश पर नारियल रखें और कलश पर मिट्टी लगाकर जौ बोएं.
- कलश के निकट अखंड दीपक जरूर प्रज्ज्वलित करें.
मूलाधार चक्र के कमजोर होने के लक्षण
- व्यक्ति का स्वास्थ्य सामान्यतः कमजोर रहता है.
- कुछ न कुछ बीमारियां लगी रहती हैं.
- व्यक्ति के अंदर पशुता का भाव रहता है.
- व्यक्ति जीवन में कभी कभी स्वार्थी भी हो जाता है.
मूलाधार चक्र मजबूत करने के उपाय
- दोपहर के समय लाल वस्त्र धारण करें.
- देवी को लाल फूल और लाल फल अर्पित करें.
- देवी को ताम्बे का सिक्का भी अर्पित करें.
- इसके बाद पहले अपने गुरु का स्मरण करें.
- तत्पश्चात अपने आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं.
- ध्यान जितना लम्बा और गहरा होगा, लाभ उतना ही ज्यादा होगा.