पटना:सीएम नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाते हैं. अपनी राजनीतिक सूझबूझ के दम पर नीतीश कुमार पिछले 15 साल से सत्ता के शीर्ष पर काबिज हैं. हालांकि, बढ़ती उम्र के साथ नीतीश कुमार पर युवाओं को मौका देने के लिए दबाव भी बनने लगा है.
बिहार की राजनीति में कई युवा चेहरे हैं. जेपी के अनुयायियों की उम्र भी ढलान पर है. नितीश कुमार पिछले 15 साल से सीएम पद पर हैं. वहीं, इस बात को लेकर वकालत की जाने लगी है कि बिहार की राजनीति में युवाओं को भी मौका दिया जाना चाहिए. नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन छुड़ा कर एनडीए में शामिल हो गए, तो रामविलास पासवान युवा नेता चिराग पासवान के लिए कुर्सी छोड़ने की वकालत करने लगे.
रामविलास पासवान ने बढ़ाई सीएम की मुश्किलें
बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि नेताओं को युवाओं की चिंता नहीं है, जो इस बात की वकालत करते हैं कि युवाओं को आगे आना चाहिए. उन्हें चिंता अपने बेटे-बेटी और पत्नी की है. उन्होंने कहा कि अगर वाकई युवाओं की नेताओं को चिंता है. तो परिवार के दायरे से बाहर निकलकर सोचें.
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राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि युवाओं के अंदर थोड़ी बहुत निराशा है. शिक्षा रोजगार और स्वास्थ्य की स्थिति बिहार में बेहतर नहीं है. लिहाजा युवाओं को आगे करने की वकालत की जा रही है. लेकिन विडंबना यह है कि नेता अपने परिवार के दायरे से बाहर नहीं निकल पाते और सुविधा की राजनीति करते हैं.