पटना: बरसात के मौसम में बच्चों के पेट में कीड़ा की समस्या (Worm Problem in Stomach) उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में इसको देखते हुए बिहार सरकार (Bihar Government) ने 16 सितंबर से एक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत 21 सितंबर तक बिहार के 2.16 करोड़ बच्चों को कीड़ा मारने की दवा खिलाई जाएगी. पहले चरण में प्रदेश के 13 जिलों के 33606 सरकारी और निजी स्कूल का चयन किया गया है.
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इन जगहों पर आशा कार्यकर्ता के माध्यम से 1 से 19 साल तक के बच्चों को कीड़े की दवाई खिलाई जा रही है. कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए यह अभियान स्वास्थ्य विभाग चला रहा है, क्योंकि यह देखने को मिला है कि जिन बच्चों के पेट में कीड़े की समस्या होती है उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है.
स्वास्थ्य विभाग ने 13 जिलों का चयन किया है, जिसमें बिहार के वैशाली, मधुबनी, नालंदा, किशनगंज, समस्तीपुर, पूर्णिया, नवादा, गया, लखीसराय, भोजपुर, रोहतास, अरवल और दरभंगा शामिल है. इन 13 जिलों के 200 प्रखंडों में 33606 सरकारी और निजी स्कूल, और 37254 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को यह दवा खिलाई जा रही है. इस अभियान में समेकित बाल विकास विभाग और शिक्षा विभाग का भी सहयोग लिया जा रहा है.
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राज्य के शिशु स्वास्थ्य के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर बीपी राय ने जानकारी दी कि पेट में कीड़े के संक्रमण से बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास में बाधा होती है. साथ ही शारीरिक विकास को भी प्रभावित करता है. पेट में कीड़ा से संक्रमित बच्चों में कुपोषण की संभावना बढ़ जाती है. क्योंकि बच्चों के पेट में कीड़े के संक्रमण की वजह से भोजन के तमाम पोषक तत्व को शरीर पचा नहीं पाता.
नियमित कृमिनाशक दवा सेवन से बच्चों और किशोरों में क्रीमी के संक्रमण को समाप्त किया जा सकता है और इससे बच्चों और किशोरों के सर्वांगीण विकास में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि 16 सितंबर से शुरू हुआ यह 5 दिनों का अभियान 21 सितंबर को खत्म हो रहा है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि जो लक्ष्य रखा गया था, 2.16 करोड़ बच्चों को खीरा की दवा खिलाने का वह पूरा कर लिया जाएगा.