पटना:देशभर में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार 10 सितंबर दिन शुक्रवार यानी की आज मनाया जाएगा. इस दिन भगवान गणेशकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसी क्रम में राजधानी पटना (Patna) के दारोगा राय पथ स्थित महाराष्ट्र मंडल के माध्यम से गणेश पूजा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. हालांकि इस वर्ष संक्रमण (Corona Virus) के कारण पूजा सिर्फ 5 दिनों तक चलेगा. पूर्व में गणेश चतुर्थी की पूजा 7 दिनों तक की जाती थी.
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विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा आज से शुरू हो जाएगी. दारोगा राय पथ इलाके में स्थित महाराष्ट्र मंडल के माध्यम से भी धूम-धाम से पूजा की जा रही है. गुरुवार देर रात तक महाराष्ट्र मंडल के सदस्यों ने गणेश पंडाल सजाने का कार्य किया.
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'संक्रमण के कारण पिछले वर्ष भी इस पूजा को सार्वजनिक रूप से नहीं किया जा सका था. हालांकि इस वर्ष भी संक्रमण के स्तर में कमी आने के बाद गणेश चतुर्थी का आयोजन किया जा रहा है. संक्रमण को देखते हुए पूजा पंडाल में एक बार में 50 लोगों को ही एक साथ अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी. इसे लेकर पूजा समिति के कार्यकर्ताओं को कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराने का निर्देश जारी किया गया है.'-संजय, सेक्रेटरी, महाराष्ट्र मंडल
आज गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त मध्याह्र काल में 11:03 से 13:33 तक है. यानी 2 घंटे 30 मिनट तक है. वहीं, चतुर्थी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 10 सितंबर को 12:18 से और चतुर्थी तिथि की समाप्ति शुक्रवार रात 21:57 तक बजे तक बताई गई है. इस दिन भक्तों को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आप पर झूठा आरोप या कलंक लग सकता है. देश मे कई जगहों पर गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी, कलंक चौथ और पत्थर चौथ के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन रात 9 बजकर 12 मिनट से सुबह 8:53 तक चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए.
गणेश चतुर्थी पर इस बार रवियोग में पूजा किया जाएगा. इस बार चतुर्थी पर चित्रा- स्वाति नक्षत्र के साथ ही रवि योग बन रहा है. चित्रा नक्षत्र शाम 4.59 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा. वहीं 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर 12 बजकर 57 मिनट तक रवियोग रहेगा, जो कि उन्नति को दर्शाता है. इस शुभ योग में कोई भी नया काम और गणपति पूजा मंगलकारी होगी.
गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था.