पटना: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की उपासना होती है. मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं और अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य मां स्कंदमाता का श्लोक सरल और स्पष्ट है. मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में पांचवें दिन इसका जाप करना चाहिए.
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
इस श्लोक का अर्थ है कि 'हे मां! सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. मां मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ. हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.' इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होता है. इनके विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं.
अलसी औषधि के रूप में भी पूजा
नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की अलसी औषधि के रूप में भी पूजा होती है. स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा के नाम से भी जाना जाता है. अलसी एक औषधि से जिससे वात, पित्त, कफ जैसी मौसमी रोग का इलाज होता है. इस औषधि को नवरात्रि में माता स्कंदमाता को चढ़ाने से मौसमी बीमारियां नहीं होती, साथ ही स्कंदमाता की आराधना के फलस्वरूप मन को शांति मिलती है.