गिरिधारी यादव, जदयू सांसद. पटना/ नई दिल्लीः पैसे लेकर प्रश्न पूछने मामले में टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई. शुक्रवार 8 दिसंबर को एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रखी, जिस पर लोकसभा में काफी बहस हुई. बांका से जदयू सांसद गिरधारी यादव ने बहस में महुआ मोइत्रा मामले का जिक्र करते हुए कहा कि मैं कभी अपना प्रश्न नहीं बनाता हूं. मेरा प्रश्न मेरा पीए या दूसरा स्टाफ बनाता है. मैं नहीं करता क्योंकि मुझे आता ही नहीं है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे सांसद हैं जो प्नश्न नहीं बनाते हैं.
"तीन बार से सांसद रहा हूं, लेकिन आज तक कभी सदन में पूछे गये किसी भी सवाल को खुद नहीं तैयार किया. मेरा पीए करता है, मेरा स्टाफ करता है. पोर्टल खोलना आता ही नहीं है. कंप्यूटर चलाना नहीं आता है. आईडी पासवर्ड सब मेरे पीए के पास है."- गिरिधारी यादव, जदयू सांसद
डर से एक भी प्रश्न नहीं लगायाः सांसद गिरिधारी यादव ने कहा कि डर से उन्होंने इस बार लोकसभा में कोई पश्न नहीं किया. लोकतंत्र में डराया गया है. उन्होंने कहा कि वे तीन बार के सांसद हैं और चार बार विधायक रह चुके हैं. कंप्यूटर चलाना नहीं आता है तो अब बूढ़ा होने के बाद क्या हम सीख सकते हैं? उनके इस बयान पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें रोका. फिर सभी सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे प्रश्न खुद बनाएं और खुद डालें. आपके प्रश्न कोई भी दूसरा बनाकर नहीं डाल सकता.
मनुस्मृति के आधार पर राज करना चाहती है भाजपाः सांसद गिरिधारी यादव ने भाजपा पर जबरदस्ती करने का आरोप लगाया. उन्होंने इस मामले को मनुस्मृति से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि भाजपा मनुस्मृति की तरह राज करना चाहती है. उनका कहना था कि मनुस्मृति में कहा गया है कि सभी के अलग-अलग कानून होगा. भाजपा भी ऐसा ही कर रही है. साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी कि मनु का समय नहीं है. लोकतंत्र है. सदन से आग्रह किया कि लोकतंत्र का गला मत दबाइये. लोकतंत्र की हत्या मत करिये.
एफिडेविट पर सजा सुना दीः सांसद गिरधारी यादव ने कहा कि महुआ मोइत्रा मामले में एथिक्स कमेटी ने आरोप लगाने वाले हीरा नंदानी को बुलाया ही नहीं. उसके एफिडेविट पर सजा सुना दी. यह गलत है. न्याय प्राकृतिक होनी चाहिए. हम लोगों ने कमिटी से मांग की थी, लेकिन हमें नहीं बुलाया गया, कोई चर्चा नहीं की गई. हमारे प्रतिष्ठा का हनन किया गया. गिरिधारी यादव ने कहा कि आपका पूरा अधिकार है, इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि यह मेरा अधिकार नहीं है. सभा का अधिकार है. मैं कोई न्यायधीश नहीं हूं जो कोई निर्णय करूं.
महुआ मोइत्रा की सदस्यता क्यों रद्द कीः महुआ मोइत्रा टीएमसी की सांसद थी. पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से सांसद का चुनाव जीती थीं. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उन पर लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया. बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी द्वारा इसके लिए पैसे देने की बात कही. आरोपों की शिकायत संसद की एथिक्स कमेटी को भेजी गई. कमेटी ने जांच के बाद इन आरोपों को सही ठहराया था. निष्कासन के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा निष्कासन की सिफारिश इस आधार पर की गई थी कि मैंने अपना संसद का लॉगिन पोर्टल किसी से साझा किया है. पर इसको नियंत्रित करने के लिए तो कोई नियम ही नहीं हैं.
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