पटना: बिहार में इन दिनों भूमि विवाद को लेकर हिंसक घटनाओं में अचानक इजाफा देखने को मिल रहा है. स्थिति ये है कि अब महिलाएं भी इससे निजात पाने के लिए हथियार उठाने पर विवश हो चुकी हैं. जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूमि विवाद के निपटारे के लिए विशेष अभियान भी चलाया था. जोकि इस समय फ्लॉप होता दिख रहा है.
बिहार में लॉकडाउन के दौरान कैमूर, बांका और गया में भूमि विवाद को लेकर बड़ी घटना घट चुकी है. बिहार के कैमूर जिले का एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें महिला पिस्टल लहराते हुए फायरिंग करती दिखी थी. वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा गया कि गांव में मारपीट हो रही है. उस दौरान युवती पिस्टल लेकर आती है और पहले उसे लहराते हुए फिर फायरिंग करना शुरू कर देती है.
अशोक प्रियदर्शी, समाजसेवी भूमि विवाद के मसले को लेकर पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने कहा कि समान परिपेक्ष में कुछ कहना मुमकिन नहीं है. हालांकि वे इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से बचते दिखें. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में बंदी होने के कारण घटनाएं कम हुई है.
क्या है भूमि एक्सपर्ट की राय
वहीं, भूमि विवाद से जुड़े एक्सपर्ट और समाजसेवी अशोक प्रियदर्शी की मानें तो लॉकडाउन के दौरान फॉरेस्ट डिपार्टमेंट एक लाख एकड़ जमीन जिस पर आम जनता रहती है. उसे खाली करवाने के पीछे पड़ा है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान आम जनता पुलिस के पास नहीं पहुंच पा रही है. इस समय पुलिस करोना मैनेजमेंट में तत्पर है. जिसका लैंड माफिया फायदा उठाकर आम जनता के जमीन को हथियाना चाह रहे हैं.
'लैंड-लॉबी के बढ़ सकते हैं मामले'
समाजसेवी अशोक ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीन विवाद को लेकर अभियान भी चलाया था, जिसके सहारे 17 लाख आवेदन भी प्राप्त हुए थे. जिनके पास रहने का स्थान नहीं है. उन्होंने बताया कि बिहार के सभी जिलों के डीएम और एसपी के नेतृत्व में सप्ताह के 1 दिन भूमि विवाद से जुड़े मामले का निष्पादन का निर्देश दिया गया. जो लॉकडाउन के दौरान फेल होता दिख रहा है. अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि लॉकडाउन दौरान आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोग नौकरी छोड़ कर वापस घर लौट रहे हैं और लैंड-लॉबी के लोग अगर उनको हटाने की कोशिश करेंगे तो भूमि विवाद से जुड़े मामले और बढ़ेंगे.