पटना :शुक्रवार शाम को अचानक लालू यादव और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए. चर्चा शुरू हो गयी आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि लालू को नीतीश के पास जाना पड़ा? अमूमन नीतीश ही राबड़ी आवास जाया करते थे. पर बदली हुई परस्थिति कुछ और ही इशारा कर रही है. दरअसल, विरोधी एकता में कांग्रेस की अहम भूमिका हो, इसकी पैरवी करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दोनों कांग्रेस को ही कोस रहे हैं.
लालू यादव से मिलते नीतीश कुमार '..जब नीतीश ने कांग्रेस को घेरा था' :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का ये रवैया ठीक नहीं लग रहा है कि इंडिया गठबंधन की तमाम गतिविधियों को छोड़कर कांग्रेस पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से जुट गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की रैली में यह तक कह गए कि कांग्रेस अभी इंडिया गठबंधन पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
लालू-राहुल का संबंध बेजोड़ : वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल लालू यादव कांग्रेस और राहुल गांधी की जमकर वकालत कर रहे हैं. पटना में हुई बैठक में तो लालू यादव ने राहुल गांधी को दूल्हा बनाने तक की बात कह दी थी. आखिर एक गठबंधन में रहने के बावजूद लालू यादव कांग्रेस के इतने करीब क्यों है और नीतीश कुमार कांग्रेस की वकालत करने के बाद उनसे खफा क्यों है?
लालू यादव से मिलते राहुल गांधी नीतीश से ज्यादा भरोसा लालू पर :वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय बताते हैं है कि लालू यादव कांग्रेस के सबसे ट्रस्टेड और टेस्टेड एलाइंस पार्टनर हैं. वह काफी लंबे समय से कांग्रेस के साथ रहे हैं. इसलिए कांग्रेस उनपर ज्यादा भरोसा करती है. रही बात लालू यादव की, तो वो भी कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
लालू, नीतीश और राहुल गांधी ''जब विरोधी एकता की बात चल रही थी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने गए थे तो, दोनों उनसे नहीं मिले थे. फिर बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू यादव के साथ दिल्ली गए थे तब, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने उनसे मुलाकात की थी. इससे बात साफ होती है कि लालू यादव कांग्रेस के टेस्टेड और ट्रस्टेड एलाइंस है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
देश में कांग्रेस अपने आप को कर रही है मजबूत :रवि उपाध्याय कहते हैं कि हाल के दिनों में जिस तरह से इंडिया गठबंधन बना है. उसके बाद से निश्चित रूप से बैक टू बैक हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई है. इससे कांग्रेस का उत्साह काफी बढ़ा हुआ है. अभी आने वाले समय में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उसके परिणाम आने वाले हैं. उसमें भी कांग्रेस को बढ़त मिलती हुई दिखाई दे रही है, यह कई राजनीतिक विशेषज्ञ और उन राज्यों को जानने वाले लोग बता रहे हैं. इससे निश्चित रूप से कांग्रेस का उत्साह और मनोबल बढ़ा हुआ है.
''नीतीश कुमार ने इस तरह की बात क्यों कही है, नीतीश कुमार एक तरह से कांग्रेस को आइना दिखा रहे हैं. वह बता रहे हैं कि एक-एक पल, एक-एक छन इंडिया गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. इस तरह से यदि समय बीतता जाएगा, वक्त जाया होगा तो, भाजपा को हराना मुश्किल हो जाएगा. चुनावी जानकार आने वाले चुनाव विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त दे रहे हैं लेकिन, ऐसा नहीं हुआ तो जो इंडिया गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को देशभर में हराने की सोच रही है ऐसे में वह सभी बैक फुट पर आ जाएंगे.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
हिमाचल और कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस एग्रेसिव मोड में :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक बनना चाह रहे थे. उनके अंदर की इच्छा संयोजक बनने की है. लेकिन, ऊपरी तौर पर वह नहीं कहते हैं कि संयोजक बनेंगे. वह बार-बार कहते रहते हैं कि हमें कुछ नहीं चाहिए, हम एकजुट करना चाहते हैं और एकजुट करने की कवायत वह कर भी रहे हैं. आज के डेट में इंडिया गठबंधन जो है उसके नीतीश कुमार ही सूत्रधार हैं और जगह-जगह जाकर हर राजनीतिक पार्टियों से मिलकर उन्होंने विपक्षी एकता को मजबूत किया है. इसके बावजूद हिमाचल और कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस एग्रेसिव मोड में है और वह चाह रही है कि आने वाले पांच विधानसभा चुनाव में भी उन्हें बढ़त मिले.
लालू का कांग्रेस प्रेम बहुत पुराना है :लालू यादव का कांग्रेस से प्रेम कोई नया नहीं है. यह बहुत पुराना प्रेम है. इंडिया गठबंधन की बैठक में ही उन्होंने राहुल गांधी को दूल्हा बता दिया था. वह कांग्रेस के साथ बहुत कंफर्टेबल हैं. नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ नए गठबंधन में गए हैं. इतनी जल्दी प्रेम कैसे उपज सकता है? ऐसे बहुत लंबे समय तक नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ नहीं रहे हैं. इसलिए उतना प्रेम कांग्रेस के साथ उनका नहीं है, जितना लालू यादव का है.
कांग्रेस के लिए बेहतर प्रदर्शन करना जरूरी : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुलकर कांग्रेस का विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन, सांकेतिक तौर पर वह जरूर कह रहे हैं कि कांग्रेस को इंडिया गठबंधन पर ध्यान देना चाहिए. कम्युनिस्ट पार्टी की रैली में जिस तरह से उन्होंने चुटकी ली लेकिन, कांग्रेस के लिए भी यह जरूरी है कि वह आने वाले समय के पांचो राज्यों के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करे, तभी वह गठबंधन में मजबूत रहेगी.