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'तेरे दर पर सनम चले आये, ले के संघमुक्त भारत का भरम चले आये' - सीएम नीतीश कुमार

2015 में साथ मिलकर बीजेपी को पटखनी देने वाले लालू-नीतीश की राहें जुदा हैं. जहां, नीतीश बीजेपी के साथ सियासत आगे बढ़ रहे हैं. वहीं, बड़े भाई लालू प्रसाद उन्हें उनके पुराने बयानों को लेकर घेरने में जरा सी भी कोताही नहीं बरत रही है. सीएम नीतीश कुमार के पंडित दिन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा के लोकार्पण को लेकर लालू ने नीतीश पर खूब व्यंगों के तीर चलाये.

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नीतीश कुमार

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Published : Feb 12, 2020, 1:38 PM IST

पटनाः सियासत भी अजीब है. नेताओं का कभी इस पाले तो कभी उस पाले में आना-जाना लगा रहता है. जहां, प्रतिरोध का दौर भी चलता है. कभी सीएम नीतीश कुमार ने महागठबंधन में रहते हुए देश को संघ मुक्त बनाने का सपना देखा, लेकिन डेढ़ साल बाद ही पाला बदल कर बीजेपी के सहयोग से सरकार बना ली. लेकिन उनके धूर विरोधी लालू प्रसाद ने अब बिहार में पंडित दिन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा के लोकर्पण को लेकर निशाना साधा है.

नीतीश कुमार 'संघ मुक्त भारत' का सपना और 'मिट्टी में मिल जायेंगे लेकिन बीजेपी में नहीं जायेंगे' की बात महागठबंधन की सरकार में कई मंचों पर खुलेआम की. इसी के सहारे बड़े भाई और छोटे भाई (लालू-नीतीश) ने बिहार की सत्ता से बीजेपी को दूर रखा. हालांकि समय और परिस्थिति ने नीतीश कुमार को फिर से बीजेपी के साथ कर दिया, लेकिन लालू के बीजेपी के प्रति तेवर कम नहीं हुए. चारा घोटाला में सजायाफ्ता और सियासत से दूर लालू प्रसाद यादव ट्वीटर को हथियार बना नीतीश और बीजेपी पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

लालू का नीतीश पर व्यंग
आरजेडी चीफ लालू प्रसाद ने पंडित दिनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के लोकार्पण को लेकर सीएम नीतीश पर कटाक्ष किया है. लालू ने फिल्मी गीत के जरिये जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पर व्यंगों के बाण छोड़े हैं. लालू ने लिखा, 'तेरे दर पर सनम चले आये, तू ना आया तो हम चले आये. बिन तेरे कोई आस भी ना रही, इतने तरसे के प्यास बुझने से रही. इस से पहले के हम पे हंसती रात, बन के नागिन जो हम को डसती रात. ले के संघमुक्त भारत का भरम चले आये, ले के अपना भरम स्वयं चले आये. तेरे दर पर सनम चले आये तू ना आया तो हम चले आये.'

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लालू का हथियार बना 'ट्वीटर'

कभी नीतीश कुमार ने बीजेपी और संघ को खूब कोसा था, लेकिन परस्थितिवश बीजेपी से दोस्ती करनी पड़ी. तब तक भतीजे तेज-तेजस्वी को नीतीश अपनी संगत में राजनीति का शुरुआती पाठ पढ़ा चुके थे. हालांकि, लालू जेल तो जरूर चले गए, लेकिन पार्टी की कमान से लेकर नीतीश को अपने टारगेट पर रखना नहीं छोड़े. अब लालू के ट्वीटर को हथियार बना कर विरोधियों पर लगातार हमलावर रहते हैं.

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