पटना: गुरुवार को बिहार का शिक्षा विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में रहा, इसका कारण बने केके पाठक. दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के हस्ताक्षर का एक पत्र खूब वायरल हुआ, जिसमें 9 जनवरी को उन्होंने अपर मुख्य सचिव के पद से पद त्याग करने की बात लिखी है.
ये है तकनीकि सच्चाई : जानकारों की माने तो यह कोई पहली बार इस तरह का वाकया नहीं हुआ है. जानकार बताते हैं कि कोई भी वरीय पदाधिकारी जब कभी छुट्टी पर जाते हैं, तो पद त्याग कर जाते हैं ताकि उनकी जगह कोई दूसरा अधिकारी पदभार ग्रहण करके विभागीय कार्यों को कर सके.
विभागीय पॉलिटिक्स का शिकार केके पाठक?: हालांकि इसी बीच शिक्षा विभाग के मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने मीडिया में यह बयान दे दिया कि ''केके पाठक को काम करने में मन नहीं लग रहा था, इसलिए इस्तीफा दे दिया है. इसमें वह कुछ नहीं कर सकते हैं.'' शिक्षा मंत्री के इस बयान ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि शिक्षा विभाग में केके पाठक सहज नहीं है.
विभाग में खटपट की खबरें : विभागीय मंत्री और केके पाठक के बीच कभी बनी नहीं है. कई लोग यह भी कह रहे हैं कि 8 जनवरी से केके पाठक छुट्टी पर हैं और 16 जनवरी को जब पटना लौटेंगे तो शिक्षा विभाग में अपने पद को ज्वाइन नहीं करेंगे. लेकिन यह सभी बातें अभी कयास तक ही हैं. विभाग के लोगों का कहना है की केके पाठक ने प्रथम चरण की शिक्षक बहाली को सफलतापूर्वक कराकर शिक्षकों को रिजल्ट के बाद काफी कम समय में प्रशिक्षण देकर योगदान तक कर दिया.