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Karva Chauth 2023: इस बार करवा चौथ पर शुभ संयोग, जानें व्रत खोलने का मुहूर्त और पौराणिक कथाएं..

इस बार करवा चौथ 2023 पर शुभ संयोग बन रहा है. पटना के आचार्य मनोज मिश्रा ने पूजा और व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त के बारे में बताया. उन्होंने इसके पीछे पौराणिक कथा के बारे में भी बताया कि आखिर करवा चौथ व्रत क्यों किया जाता है? पढ़ें पूरी खबर

करवा चौथ 2023
करवा चौथ 2023

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 1, 2023, 6:08 AM IST

आचार्य मनोज मिश्रा

पटना:एक नवंबर को करवा चौथ मनाया जाएगा. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. हर साल यह व्रत किया जाता है, लेकिन हर बार पूजा करने का शुभ मुहूर्त अलग-अलग होता है. ऐसे में पटना के रहने वाले आचार्य मनोज मिश्रा इसके बारे में खास जानकारी दे रहे हैं. उन्होंने करवा चौथ व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में बताया.

करवा चौथ पर शुभ संयोगःआचार्य के अनुसार इस बार करवा चौथ पर शुभ संयोग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में बुधवार को करवा चौथ मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं व्रत रखने के साथ-साथ पूजा-अर्चना भी करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का मनाया जाता है. चतुर्थी की शुरुआत मंगलवार 31 अक्तूबर को रात 9:30 बजे से हो रही है. यह तिथि अगले दिन नवंबर को रात 9 :19 बजे तक रहेगी.

करवा चौथ में पूजा का शुभ मुहूर्तः उदयातिथि और चंद्रोदय के समय करवाचौथ किया जाएगा. मनोज मिश्रा के अनुसार महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती है. शाम में चन्द्र दर्शन के बाद पानी पीने का विधान है. इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:36 से लेकर 6.56 तक है. रात्रि 8:15 बजे चंद्रोदय होगा. छलनी में चांद को देखने के बाद पति अपने हाथों से पत्नी को पानी पिलाते हैं. इलाकों क्षेत्र में 8.15 बजे के बाद या पहले भी चांद दिखाई पड़ सकता है. इसके अनुसार महिलाएं व्रत खोल सकती है.

बिहार में भी मनाया जाता करवा चौथः आचार्य के अनुसार इस दिन चतुर्थी माता और भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है. महिलाएं विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत करती हैं. इससे सौभाग्य, पुत्र, धन-धान्य, पति की रक्षा और पति-पत्नी के बीच में चल रहे मतभेद और संकट दूर होता है. करवाचौथ ज्यादातर दिल्ली-पंजाब की महिलाएं करती है. धीरे-धीरे बिहार में ज्यादा महिलाएं इस व्रत को करती हैं.

करवा चौथ की पौराणिक मान्यताः करवा चौथ से पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी है. एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया. उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी. देवताओं ने ब्रह्मा से रक्षा की प्रार्थना की. ब्रह्म ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को व्रत रखना चाहिए और सच्चे ह्रदय से देवताओं की विजयी के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. ब्रह्मा ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी.

व्रत से देवताओं की विजयी हुईः ब्रह्म के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने स्वीकार किया. कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की. उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में सभी देवताओं की जीत हुई. इस विजय के बाद सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया. उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था. तभी से चांद पूजन के साथ करवा चौथ व्रत किया जा रहा है.

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