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...तो 'विकास बाबू' को चुनौती देने एक मंच पर आएंगे कन्हैया और तेजस्वी यादव?

सीपीआई अब महागठबंधन का हिस्सा है और कन्हैया कुमार बिहार के एक बड़े चेहरे हैं. इस विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार महागठबंधन के लिए प्रचार करेंगे.

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Published : Aug 29, 2020, 5:30 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 1:52 PM IST

कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है. चुनाव नजदीक आते ही नेताओं के दल बदल का दौर शुरू हो चुका है. वामपंथी दल महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा. इस चुनाव में कन्हैया कुमार महागठबंधन के लिए प्रचार करते नजर आएंगे.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा कि महागठबंधन इस बार नहीं चाहता है कि वो यह चुनाव हारे. इसलिए सभी के साथ गठबंधन किए जा रहे हैं. सभी को सम्मानजनक सीटें भी दी जाएंगी. कन्हैया कुमार बिहार के एक बड़े चेहरा हैं और उनका लाभ भी महागठबंधन को जरूर मिलेगा. ये बात कन्हैया कुमार भी अच्छी तरीके से जानते हैं. कन्हैया कुमार स्टार प्रचारक हैं. उसका लाभ महागठबंधन के सभी दलों को मिलेगा. हालांकि लोकसभा चुनाव में उनकी आरजेडी से थोड़ी अनबन हो गई थी. लेकिन इस साल पुरानी बातों को भुलाकर सभी एनडीए को हराने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.
सभा को संबोधित करते कन्हैया कुमार

'कन्हैया कुमार करेंगे प्रचार'

सीपीआई राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने बताया कि कन्हैया कुमार बिहार के चर्चित चेहरे हैं और सीपीआई के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं. अब हम महागठबंधन के हिस्सा हैं, तो कन्हैया कुमार 243 सीटों पर प्रचार करेंगे. महागठबंधन के जिस दल को भी कन्हैया कुमार की आवश्यकता होगी. उस दल के लिए वे प्रचार करेंगे.

पेश है रिपोर्ट

एनडीए को हराना है उद्देश्य

हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार खुद बेगूसराय सीट से चुनाव लड़े थे, जिस वजह आरजेडी से अनबन हुई थी और गठबंधन नहीं हो पाया था. लेकिन इस साल सभी बातों को भुलाकर एनडीए सरकार को हराने के लिए सभी एक हो गए हैं.

दरअसल, वामपंथी दलों के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक, वामपंथी दल के नेताओं ने राज्य के 18 जिलों के विधानसभा क्षेत्रो में चुनाव लड़ने की मंशा जताते हुए राजद को सीटों की सूची सौंप दी है. सूत्रों की माने तो वामपंथी दलों के नेताओं के साथ दो चरणों की बात हो चुकी है. हालांकि, बाद मिल-बैठकर रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा.

2019 लोकसभा चुनाव

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट से सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की हार का एक कारण आरजेडी भी थी. लोकसभा चुनाव में कन्हैया के खिलाफ आरजेडी ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. जिसका फायदा बीजेपी को हुआ और आरजेडी उम्मीदवार तनवीर हसन और कन्हैया दोनों चुनाव हार गए. बीजेपी के गिरिराज सिंह को 692193 वोट मिला. सीपीआई के कन्हैया कुमार को 269976 तो आरजेडी के तनवीर हसन को 198233 वोट मिले.

कन्हैया कुमार को राखी बांधते हुए

2015 विधानसभा चुनाव में लेफ्ट का प्रदर्शन

पिछले विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) के तीन विधायक जीतकर आए थे. पिछले चुनाव में माले ने 99 सीटों पर, भाकपा ने 98 और माकपा ने 43 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से मात्र माले के ही तीन प्रत्याशी विधानसभा पहुंच सके थे.

2010 विधानसभा चुनाव में लेफ्ट का प्रदर्शन

वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों में भाकपा 56, माकपा 30 और माले ने 104 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उस चुनाव में इन दलों को सिर्फ एक सीट मिली थी. इस अनुभव के आधार पर वामपंथी दल आगामी चुनाव में अपनी स्थिति को सुधारने में जुटी है.

बता दें कि इससे पहले भी भाकपा और माकपा ने राजद या जनता दल के साथ गठबंधन में रहे हैं, लेकिन यह पहली बार होगा जब भाकपा (माले) भी राजद के इस गठबंधन में होगी.

Last Updated : Sep 19, 2020, 1:52 PM IST

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