पटना: प्रदेशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लगभग 3 हजार जूनियर डॉक्टर और इंटर्न अपने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बने रहे. डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 की ड्यूटी छोड़कर इमरजेंसी, आईसीयू, ओपीडी समेत तमाम विभागों में काम बंद है. सरकार जब तक उनसे बातचीत नहीं करती है और उनकी मांगों पर लिखित रूप से आश्वासन नहीं देती है, वह हड़ताल पर बने रहेंगे.
पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि लगातार तीसरे दिन पूरे बिहार के 9 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर और इंटर्न हड़ताल पर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से लापरवाह है और अब तक हड़ताल खत्म करने को लेकर उनसे बातचीत करने का भी किसी अधिकारी ने प्रयास नहीं किया है.
'गुरुवार के दिन पीएमसीएच में स्वस्थ विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत पहुंचे और लगभग 2 घंटा समय बिताया. पीएमसीएच के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस में बैठकर उन्होंने चाय भी पीया. प्रधान सचिव से मिलने के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस के गेट के बाहर सभी जूनियर डॉक्टर काफी संख्या में लगभग 3 घंटे खड़े रहे. लेकिन प्रधान सचिव ने बाहर निकलते समय जूनियर डॉक्टरों से एक बार नजर तक नहीं मिलाई और हाल-चाल तक नहीं पूछा. जूनियर डॉक्टर चाह कर भी प्रधान सचिव से नहीं मिल पाए.' -डॉ कुंदन सुमन, ज्वाइंट सेक्रेटरी, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन.
जूनियर डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल 1 साल से कर रहा इंतजार
डॉ कुंदन सुमन ने कहा कि उन्हें इस बात का बहुत खेद है कि सरकार ने ऐसी नौबत ला दी है कि उन्हें अस्पताल में कार्य बहिष्कार करना पड़ रहा है. हड़ताल की वजह से गरीब मरीजों को बहुत परेशानी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि उनकी हड़ताल पर बहुत से लोग मानव हित की बात कर रहे हैं और हड़ताल खत्म करने की बात कह रहे हैं.