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मांझी के बेरोजगारी भत्ता की मांग के बाद विपक्ष ने भी नीतीश पर साधा निशाना, कहा- जनता से किया धोखा

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में आर्थिक संकट से जूझते बिहार के बेरोजगारों को पांच हजार रुपए महीना बेरोजगारी भत्‍ता देने की मांग पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी ने की है. एक तरफ बिहार के लाखों युवा नौकरी की आस लगाए बैठे हैं दूसरी तरफ बेरोजगारी भत्ता की खबर सुनकर उनकी उम्मीदें और बढ़ गई हैं. वहीं इसे लेकर राजनीति भी चरम पर है.

jitan ram manjhi demands unemployment allowance
jitan ram manjhi demands unemployment allowance

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Published : May 17, 2021, 10:44 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में सरकारी नौकरी एक बड़ा मुद्दा बना था. इसे लेकर दबाव में आई एनडीए ने तब युवाओं को रोजगार के अवसर देने की घोषणा की थी. बीजेपी ने 19 लाख रोजगार देने का वायदा किया था. सरकार बनने के बाद नीतीश सरकारने दूसरी कैबिनेट में 20 लाख रोजगार सृजन को लेकर कैबिनेट के प्रस्ताव पर मुहर लगाई. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसें में जीतन राम मांझी की मांग ने सरकार को नई मुसीबत में डाल दिया है.

बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार का घेराव

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मांझी की मांग से सकते में नीतीश!
सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक रोजगार के सृजन की आस राज्य के युवाओं में बंधी थी. लेकिन अब तक इस दिशा कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है. इस बीच कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई. इस मुश्किल घड़ी में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए सरकार में सहयोगी हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग की है.

'चुनाव से पहले पार्टी ने वादा किया था कि अगर नौकरी नहीं दे पाए तो 5000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे. सरकार इस दिशा में कार्रवाई करे, इसकी मांग मांझी ने नीतीश कुमार से की है.'- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

विभिन्न विभागों में खाली पड़े पद
चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को आइना दिखाया और यह दावा किया कि पांच लाख पद वर्तमान में विभिन्न विभागों में खाली पड़े हैं जबकि अन्य पांच लाख सरकारी नौकरी देने की बिहार में संभावना है. करीब ढाई लाख पद शिक्षा विभाग में जबकि इतने ही पद स्वास्थ्य विभाग में खाली पड़े हैं. इसके अलावा पुलिस और सचिवालय के विभिन्न भागों में लाइब्रेरियन, फिजिकल टीचर, लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर समेत बड़ी संख्या में ग्रुप सी और डी के पद खाली पड़े हैं. बिहार लोक सेवा आयोग और बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अलावा बिहार तकनीकी सेवा आयोग में भी हजारों की संख्या में ऐसी रिक्तियां हैं जिन पर बहाली की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है. इसके अलावा बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हजारों की संख्या में सहायक प्रोफेसर के अलावा ग्रुप सी और डी के पद खाली पड़े हैं.

'सरकार ने 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था लेकिन कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की तैयारी ने नीतीश सरकार के झूठ की पोल खोल दी. किस तरह स्वास्थ विभाग में हजारों डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के पद रिक्त पड़े हैं यह सबके सामने आ गया है. अस्पताल में वेंटिलेटर और अन्य उपकरण पड़े हैं लेकिन उन्हें चलाने के लिए स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं थे. राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी होने के बाद सरकार ने आनन-फानन में इंटरव्यू आयोजित कर लोगों को संविदा पर बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की है जबकि यह काम काफी पहले होना चाहिए था.'- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

'जीतन राम मांझी सीएम से बात कर सकते थे. पब्लिक फोरम में ऐसे बोलना समझ से परे है.'- अखिलेश कुमार सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

अखिलेश कुमार सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

बिहार में बेरोजगारी
बिहार में बेरोजगारों की लंबी चौड़ी फौज खड़ी है. एक अनुमान के मुताबिक बिहार में करीब डेढ़ करोड़ युवा अपनी पढ़ाई पूरी कर नौकरी की बाट जोह रहे हैं. रही सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी है. इस महामारी की वजह से बिहार के बाहर काम कर रहे लाखों युवा वापस अपने घर आ गए हैं. इनमें से बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो अपनी नौकरी गंवा चुके हैं. ऐसे में जीतन राम मांझी ने बेरोजगारी भत्ता देने की मांग करके नीतीश सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है. अब देखना है कि सरकार अपने सहयोगी की इस बहुप्रतीक्षित मांग पर क्या फैसला करती है.

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