रांचीः विधायक हत्याकांड में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने मामले में शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद और उसके भाई की अपील याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने निचली अदालत के ओर से दी गई उम्रकैद की सजा को सही मानते हुए, उस पर अपनी मुहर लगा दी है. इस मामले में सजायाफ्ता पूर्व सांसद के भतीजे रितेश सिंह को बरी कर दिया है.
पूर्व सांसद की अपील याचिका खारिज
झारखंड हाई कोर्ट में न्यायाधीश अमिताभ कुमार गुप्ता और न्यायाधीश राजेश कुमार ने अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद की अपील याचिका को खारिज कर दिया है. जबकि उनके भतीजे रितेश सिंह को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उन्हें साक्ष्य के अभाव में हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है. पटना में विधायक अशोक सिंह की हत्या कर दी गई थी. उसी मामले के बाद इसे हजारीबाग स्थानांतरित किया गया था. हजारीबाग के निचली अदालत ने पूर्व सांसद को अशोक सिंह की हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उसी के खिलाफ उन्होंने अपील याचिका दायर की थी. उसी अपील याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने उसे खारिज कर दिया है.
निचली अदालत ने दी थी उम्रकैद की सजा
पूर्व में अदालत ने मामले में सभी पक्षों के दलील को सुनने के उपरांत मामले की सुनवाई को पूरी कर ली थी और आदेश सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद की अपील याचिका को खारिज कर दिया है. प्रभुनाथ सिंह और उसके भाई दीनानाथ सिंह और भतीजा रितेश को 18 मई 2017 को हजारीबाग के अपर सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र शर्मा ने विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिया था. प्रभुनाथ सिंह के अलावा उनके भाई दीनानाथ सिंह और भतीजे रितेश सिंह को भी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी. कोर्ट ने सभी दोषियों पर 40-40 हजार रुपये का दंड भी लगाया था.
बता दें कि जनता दल के नेता और विधायक अशोक सिंह की हत्या 3 जुलाई 1995 को पटना के सरकारी आवास में दिनदहाड़े बम मार कर कर दी गई थी. हजारीबाग सेशन कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को भादवि की धारा 302, 307, 324, 120 बी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी करार दिया था. सारण जिले के मशरख के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या उनके विधायक बनने के ठीक 90वें दिन हुई थी. राजद नेता प्रभुनाथ सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने ही हत्या की यह डेडलाइन तय की थी. हालांकि वो इससे इन्कार करते रहे हैं. हत्या के बाद अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी ने गर्दनीबाग थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.