पटना:सीपीआई के नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) बहुत जल्द कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे. इसे लेकर पूछे गए सवाल पर जदयू नेता नपी तुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जदयू मंत्री लेसी सिंह (Minister Lesi Singh) ने कहा यह सतत प्रक्रिया है. एक दल से दूसरे दल में नेता जाते रहते हैं. वहीं जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार कन्हैया को नहीं बल्कि तेजस्वी को चुनौती मानते हैं.
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मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से जदयू पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. वहीं जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि महागठबंधन में शामिल दल के नेताओं को एक दल से दूसरे दल में जाने के लिए छूट मिली हुई है. इसी से महागठबंधन के स्वरूप का पता चलता है.
"कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने पर हमारे लिए क्या चुनौती है. बिहार में तो मुख्य विपक्षी दल आरजेडी है और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव हैं. यह सीपीआई और कांग्रेस का अंदरूनी मामला है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
"लोग एक दल से दूसरे दल में जाते रहे हैं, यह एक सतत प्रक्रिया है. कन्हैया कुमार के कांग्रेस में जाने से हमारी पार्टी को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं हैं."- लेसी सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री, बिहार
बता दें कि कन्हैया और राहुल गांधी की दो बार मुलाकात हो चुकी है. पिछले तीस साल से कांग्रेस में बिहार में अपना जनाधार तलाश रही है. विधानसभा चुनावों में गठबंधन के बाद पार्टी को सीट तो मिल जाती है मगर व्यापक जन समर्थन की कमी रहती है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राजद के साथ गठबंधन के बाद 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, मगर इसे 19 सीटों पर ही कामयाबी मिली थी. पार्टी के केंद्रीय नेताओं का मानना है कि अभी बिहार में नीतीश कुमार और एनडीए पर हमला करने वाला युवा चेहरा नहीं है. इसके अलावा नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रस्तावित महा अभियान के लिए उसे ऐसे युवा नेताओं की जरूरत है, जिसे जनता पहचानती हो. साथ ही वह बेबाकी से अपनी बात रखता हो.
कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि छात्र नेता के तौर पर कन्हैया को संगठन का अनुभव है. आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ उनका भाषण नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाता है. कन्हैया भूमिहार जाति से आते हैं. कांग्रेस कन्हैया के जरिये इस जाति को दोबारा अपने साथ जोड़ना चाहती है. अभी बिहार का भूमिहार वोटर बीजेपी के साथ माने जाते हैं.
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