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JDU MLC नीरज कुमार ने किया रामायण पाठ, कहा- संविधान राम को मानता है तो हम क्यों नहीं? - Politics On Ramcharitmanas Controversy

जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार (JDU MLC Neeraj Kumar read Ramayan) ने शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के द्वारा रामचरित मानस पर दिए बयान के बाद हनुमान मंदिर में जाकर रामचरितमानस का पाठ किया है. उन्होंने कहा कि जब हमारा संविधान राम को मानता है. तब हम क्यों नहीं? पढे़ं पूरी खबर...

जदयू एमएलसी नीरज कुमार
जदयू एमएलसी नीरज कुमार

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Published : Jan 14, 2023, 2:26 PM IST

नीरज कुमार ने हनुमान मंदिर में किया रामायण पाठ

पटना:बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर बयानदेने के बाद तेजी से सियासत (Politics On Ramcharitmanas Controversy) फैल गई है. महागठबंधन की सरकार में आरजेडी के नेताओं के द्वारा दबे जुबान में शिक्षा मंत्री को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं घटक दल जदयू की तरफ से कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी के बाद जदयू विधान पार्षद नीरज कुमार ने भी विरोध दिखा दिया है. इस बयान के बाद उन्होंने मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से बचकर सीधे राजवंशी नगर हनुमान मंदिर पहुंच गए और अपने समर्थकों के साथ उन्होंने वहीं पर रामायण का पाठ किया. इस मौके पर जदयू के प्रधान प्रवक्ता नीरज कुमार ने कई जगह पर लोगों को दोहा का अर्थ भी समझाया. इस कार्यक्रम में उनके साथ कई समर्थकों की मौजूदगी थी.

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नीरज कुमार ने किया रामायण पाठ:पटना के राजवंशी नगर स्थित हनुमान मंदिर में एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि हम हर शनिवार इस मंदिर में आते हैं. यहां आने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ और रामायण पाठ करते हैं. उन्होंने कहा कि इसी चलते हम इस बार भी यहां पहुंचे हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है. पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि हर बार की भांति इस बार भी हम यहां आकर पाठ किए हैं. यहां हर शनिवार को हमलोग खिचड़ी वितरण प्रसाद स्वरूप भी करते हैं. हालांकि पिछले दो तीन दिनों से जिस तरह से बिहार में रामचरितमानस को लेकर सियासत हो रही है. उसी से जोड़कर नीरज कुमार के इस स्टैंड को भी लिया जा रहा है.

JDU MLC नीरज कुमार ने कहा

रामायण पर बवाल में सियासत : जेडीयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि रामचरितमानस हमारा धार्मिक ग्रंथ है. इसकी चर्चा हमारे संविधान में भी की गई है. इस ग्रंथ को बिहार के लोहिया से लेकर महात्मा गांधी ने इसकी काफी तारीफ की है. रामचरितमानस के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हमारे मौत के समय भी मुंह में राम का नाम नहीं आता है. तो इस तरह की जिंदगी का कोई फायदा नहीं. इसलिए उन्होंने अपने अंतिम समय में भी हे राम का उच्चारण किया था. जबकि लोहिया ने रामायण मेला ही लगवाने का काम किया था. जदयू नेता ने नरम स्वर में ही कहा कि जो भी लोग इस पर कुछ भी कह रहे हैं. वह पूरी तरह से गलत बात बोल रहे हैं. क्योंकि हम मानते हैं कि संविधान में जो कुछ भी लिखा हुआ है. जिसका उन वाक्यों से कहीं न कहीं उल्लंघन हो रहा है.



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