पटना: बंगाल और असम चुनाव पर पूरे देश की नजर है. बिहार में साथ चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और जदयूदोनों राज्यों में अलग-अलग राह पर है और एक दूसरे के खिलाफ कई सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जदयू अंत-अंत तक तालमेल का इंतजार करती रही, लेकिन अब अपने मंत्रियों और सांसदों को भी प्रचार में उतार दिया है. बीजेपी और जदयू की बिहार वाली मित्रता पर सवाल भी खड़ा हो रहा है. आखिर यह कैसी मित्रता है जो केवल बिहार तक ही सिमटा हुआ है.
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बीजेपी-जदयू में जरूरत के हिसाब से मित्रता
जेडीयू और बीजेपी के बीच 20 सालों से बिहार में तालमेल है. बीच के कुछेक साल को छोड़ दें तो लगातार दोनों पार्टियों का एक साथ शासन रहा है और एक साथ सरकार चलाते रहे हैं. लेकिन जब बिहार से बाहर की बात होती है. दोनों दलों की राहें अलग हो जाती है. हां एक बार दिल्ली में जरूर 2 सीटों पर बीजेपी ने जदयू के साथ तालमेल किया था. पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 सीटों में से जदयू को संगम विहार और बुराड़ी विधानसभा की दो सीटें दी थी. दोनों सीट जदयू हार गयी. लेकिन दिल्ली के अलावे किसी राज्य में जदयू का बीजेपी के साथ तालमेल नहीं रहा है.
बंगाल में 40 सीट पर लड़ रही जदयू
वर्तमान में पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. बंगाल और असम में जदयू भी चुनाव लड़ रही है, लेकिन बीजेपी के साथ तालमेल नहीं है. जदयू की ओर से तालमेल का अंत अंत तक इंतजार किया गया, लेकिन जब नहीं हुआ तब जदयू ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी. बंगाल में 40 सीटों पर जदयू चुनाव लड़ रही है. जदयू के नेता सफाई देते हुए कह रहे हैं कि हम स्वतंत्र पार्टी हैं और संगठन के विस्तार के लिए हम चुनाव लड़ रहे हैं. स्टार प्रचारकों को विलंब से उतारे जाने के सवाल पर कहा कि दरअसल, इसी चरण में हमारे उम्मीदवार मैदान में हैं.