पटना:2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान एनडीए के नेताओं ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. उद्योग के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा हों इसके लिए केंद्र की राजनीति से शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) को बिहार लाकर उद्योग मंत्री बनाया गया. बिहार सरकार ने अब तक 35 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
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राज्य में उद्योग लगाने के लिए अब भूमि की कमी भी नहीं है. हालांकि बिहार में सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं होने के चलते निवेशक आकर्षित नहीं हो रहे हैं. यही कारण है कि बिहार के जीएसडीपी (Gross State Domestic Product) में उद्योग का हिस्सा 20.3% है. यह राष्ट्रीय स्तर पर निम्नतम है. देश में सबसे ज्यादा जीएसडीपी में उद्योग का हिस्सा (51.5%) गुजरात में है. दूसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ (46.3%) और तीसरे स्थान पर उड़ीसा (45.6%) है. 2018-19 में बिहार का जीएसडीपी 9.3% रहा.
बिहार सरकार राज्य में नए उद्योग लगे इस कोशिश में जुटी है. गया के डोभी में 2000 एकड़ भूमि में राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक पार्क बनने जा रहा है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर के मोतीपुर में 400 करोड़ की लागत से बनने वाले मेगा फूड पार्क को मंजूरी मिल गई है. बिहार सरकार के पास 6000 एकड़ जमीन उद्योग लगाने के लिए है. उद्योग विभाग ने पात्र इन्वेस्टर्स के लिए 2901 एकड़ का लैंड पूल बनाया है ताकि बिहार में उद्योगों की स्थापना में जमीन की कमी आड़े ना आए. बिहार में 2880 फैक्ट्री चालू अवस्था में हैं. इनमें 1,21,770 लोगों को रोजगार मिला है. कुल मिलाकर 19,980 करोड़ की स्थायी पूंजी है.
"बिहार सरकार औद्योगिकरण को लेकर गंभीर नहीं है. नीतीश कुमार सिर्फ दिखावे के लिए सम्मेलन कराते हैं और जमीन का रोना रोते हैं. सरकार की मंशा इस बात से उजागर होती है कि राज्य में अब तक सिंगल विंडो सिस्टम लागू नहीं किया जा सका और लालफीताशाही की वजह से आज भी उद्योगपति बिहार नहीं आना चाहते हैं."- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, राजद