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पटना में वायरल फीवर का प्रकोप, NMCH में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से चरमराई व्यवस्था - Bed shortage in NMCH

बिहार में वायरल फीवर (Viral Fever) का कहर देखने को मिल रहा है. पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) का शिशु विभाग हाउसफुल हो गया है. जिससे बीमार बच्चों के परिजन बेहाल और परेशान हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Sep 7, 2021, 8:25 PM IST

पटना: बिहार में इन दिनों बच्चों में वायरल इन्फेक्शन (Viral Infection) के कारण ज्यादातर बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. वहीं, राजधानी के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल एनएमसीएच (NMCH) में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से एनएमसीएच की व्यवस्था चरमरा गई है.

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एनएमसीएच में लगातार आ रहे बीमार बच्चों के कारण अस्पताल में बेड की कमी दिख रही है. वहीं, बच्चा वार्ड, नीकु, पीकू और जनरल बेड मिलाकर 84 बेड है, लेकिन बीमार बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण बच्चा वार्ड में कुल 87 बीमार बच्चे आ चुके हैं. जिसके कारण एक बेड पर दो-दो बच्चे देखे जा रहे हैं.

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अस्पताल की स्थिति को देखते हुए बच्चों के परिजनों में भय का माहौल है और अन्य बीमारियों का खतरा बता रहे हैं. अभी तो एनएमसीएच में बेड की कमी हो रही है, ऐसे में संभावित कोरोना की तीसरी लहर में बीमार बच्चों का क्या होगा.

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एनएमसीएच अधीक्षक डॉ. बिनोद सिंह ने बताया कि अभी बच्चो में निमोनिया, बुखार, खांसी, सर्दी के पेशेंट ज्यादा हैं जो कि इन्फ्लूएंजा (Influenza) है. एनएमसीएच में इन सभी बीमारियों से निपटने की पूरी व्यवस्था है, लेकिन जितने बेड की व्यवस्था है उससे ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं. जिसके कारण बेड की कमी हो गई है. हालांकि, उन्होंने बताया कि इन मरीजों को कोरोना से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. इस बीमारी का एक कारण मौसम भी है.

बहरहाल, वायरल फीवर से सूबे में सरकारी अस्पताल का हाल बेहाल हो गया है. वायरल फीवर के कहर से परिजन भी परेशान हो रहे हैं. सरकार का दावा है कि संसाधन की कमी नहीं है, लेकिन परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर कुव्यवस्था का आरोप लगाया है.

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बता दें कि बिहार में वायरल फ्लू (Viral flu) के मामले बढ़ने लगे हैं और बच्चे इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. वायरल फ्लू में बच्चों की स्थिति गंभीर हो रही है. इस मौसम में ह्यूमिडिटी बहुत अधिक रहती है. इस बार वायरल फ्लू की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है और बच्चे इसमें काफी संक्रमित हो रहे हैं और उनकी स्थिति गंभीर भी हो रही है. बच्चों के अलावा वयस्क भी संक्रमित हो रहे हैं. मगर बच्चों में सीवियर मामले बढ़ रहे हैं. वातावरण में ह्यूमिडिटी होने और तापमान अधिक होने की वजह से इनफ्लुएंजा ए बी सी डी जितने भी वायरस है, वो ज्यादा एक्टिव रहते हैं.

ऐसे में वायरल फ्लू से बचाव का भी वही इलाज है जो कोरोना का है. कोविड-19 प्रोटोकॉल जैसे कि हैंड हाइजीन, चेहरे पर मास्क और संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से दूरी काफी कारगर है. अगर बच्चे को सामान्य बुखार के अलावा डायरिया या डिसेंट्री होता है या फिर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, तो तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में ले जाएं, क्योंकि ऐसे केस में एडमिट करने की आवश्यकता पड़ती है.

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