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मानवाधिकार आयोग पहुंचा PMCH में जिंदा मरीज को मृत बताकर दूसरे की डेड बॉडी देने का मामला - जिंदा मरीज को बताया मृत

बीते कुछ दिनों पहले पीएमसीएच की घोर लापरवाही सामने आई थी. यहां जिंदा मरीज के परिजनों को किसी दूसरे की लाश सौंप दी गई थी. हैरानी की बात यह है कि मरीज अभी भी जिंदा है और उसकी तबीयत में सुधार हो रहा है. यह मामला अब तुल पकड़ लिया है और साथ ही मामला मानवाधिकार आयोग पहुंच चुका है.

मानवाधिकार आयोग
मानवाधिकार आयोग

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Published : Apr 14, 2021, 2:23 PM IST

पटना: पीएमसीएच में जीवित मरीज को मृत घोषित कर उसके परिजनों को गलत डेड बॉडी दे देने का मामला अब मानवाधिकार आयोग पहुंच चुका है. दरअसल पीएमसीएचमें 11 अप्रैल के दिन यह भारी गलती अस्पताल प्रबंधन के माध्यम से हुई थी. जब चुन्नू कुमार के परिजनों को राजकुमार भगत की डेड बॉडी सौंप दी गई थी.

अस्पताल प्रबंधन के माध्यम से डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया था. ऐसे में जब यह मामला सोशल मीडिया में आया तब अस्पताल के अधीक्षक ने मामले पर कार्रवाई करते हुए अस्पताल के कोविड-19 रोल रूम में तैनात स्वास्थ्य प्रबंधक अंजली कुमारी को सस्पेंड कर दिया था.

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आयोग के अध्यक्ष से न्याय की गुहार
ऐसे में बर्खास्त हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी ने बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है. साथ ही आयोग के अध्यक्ष से न्याय की गुहार लगाई है. हेल्थ मैनेजर का कहना है कि 11 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड से जिंदा मरीज को मृतक बताकर कैरिंग सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया. इस मामले में दूसरे मृत की बॉडी दूसरे के जिंदा व्यक्ति के परिजनों को सौंप दी गई. मानवाधिकार आयोग को दिए पत्र में अंजली कुमारी ने कहा है है कि इस मामले में उनके ऊपर कार्रवाई की गई है, जबकि उनकी कोई गलती नहीं है.

देखें रिपोर्ट.

हेल्थ मैनेजर ने लगाया आरोप
बर्खास्त हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी का कहना है कि अधीक्षक ने उनसे बिना स्पष्टीकरण मांगे ही उन्हें सेवा से बर्खास्त करने की कार्रवाई कर दी है. यह नियम का उल्लंघन है. हेल्थ मैनेजर का कहना है कि उसकी बर्खास्तगी का आदेश पूरी तरह से गलत अवैध और अनुचित है. अंजलि ने अपने पत्र में कहा है कि गलती कोविड वार्ड में जिस डॉक्टर की ड्यूटी लगी थी, उसी की थी. मृत मरीज के डेथ सर्टिफिकेट संबंधित कार्य ऑन ड्यूटी डॉक्टर के माध्यम से दिया जाता है. कोरोना से संक्रमित मरीज के शव की पैकिंग ट्रॉली मैन और वार्ड बॉय के माध्यम से की जाती है. इन दोनों कार्य में स्वास्थ्य प्रबंधक का कोई रोल नहीं होता है. 11 अप्रैल को जो घटना हुई उस में उनका कोई रोल नहीं था. अस्पताल अधीक्षक ने मामले में बिना जांच किए कार्रवाई की है.

जारी किया गया नोटिस.

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अस्पताल की हुई बदनामी
बताते चलें कि पीएमसीएच में 11 अप्रैल को यह जो भारी गलती हुई उसके बाद से पूरे देशभर में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बदनामी हुई है. इस घटना के बाद सरकार की व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा हो गया है. ऐसे में अब इन्हीं सब स्थितियों को देखते हुए सरकार ने पटना के 3 बड़े अस्पताल पीएमसीएच, एनएमसीएच और पटना एम्स में 1-1 आईएएस की प्रतिनियुक्ति की है. कोरोना संक्रमण से मरीज की मौत होने पर उसके बॉडी की डिस्पोजल की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारियों की ही होगी.

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