पटना: फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. इस बार होलिका दहन रविवार यानी आज को किया जाएगा. वहीं, होलिका दहन के दूसरे दिन यानी सोमवार 29 मार्च को होली का त्योहारमनाया जाएगा.
क्या है मान्यता
होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका को अपने बेटे विष्णु भक्त प्रह्राद को मारने का आदेश दिया था. कहा जाता है कि होलिका को एक वरदान प्राप्त था जिसके चलते वह आग से नहीं जल सकती थी. इस मिले वरदान के चलते वह प्रह्लाद को गोद में लेकर जलते हुए लड़की पर बैठ गई, ताकि उस आग में बैठकर प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए लेकिन तब भी प्रह्लाद विष्णु नाम का जप करते रहे और भगवान विष्णु की कृपा से वह बच गए और होलिका उस आग में जलकर मर गई. जिसके बाद से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है.
यह भी पढ़ें: आखिर इस गांव के लोग क्यों नहीं मनाते हैं होली, पुआ-पकवान पर भी है पाबंदी
क्या है पूजा विधि
होलिका दहन कि पूजा विधि इस प्रकार है. जिस स्थान पर होलिका दहन करना है उसे गंगाजल से पहले शुद्ध कर लें. इसके बाद वहां सूखे उपले, लकड़ी, सूखी घास रख लें. फिर जिस स्थान पर होलिका दहन करना हो वहां पूर्व की तरफ मुंह करके बैठ जाएं.
वहीं, आप चाहें तो गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बना सकते हैं, इसके साथ ही होलिका दहन के समय भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा अर्चना करें.
यह भी पढ़ें: कोरोना के दूसरे वेव ने होली के रंग में डाला भंग, रंग-पिचकारी का धंधा हुआ मंदा
पूजा के समय एक लोटा गंगाजल, माला, चावल, रोली, गंध, मूंग, सात प्रकार के अनाज, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, होली पर बनने वाले पकवान और नारियल पूजा स्थल पर रख लें. साथ में नई फसलें भी रखें. जैसे चने की बालियां और गेहूं की बालियां. कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें. उसके बाद सभी सामग्री होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करें.
अग्नि में अर्पित करते समय भक्त इस मंत्र का उच्चारण करें,'अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः, अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्' . वहीं, मंत्रोचार के बाद अग्नि में अर्घ दें.
होलिका दहन का मुहूर्त
होलिका दहन शुभ मुहूर्त में करने की सलाह दी जाती है. भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं किया जाता है. इस बार दोपहर 1 बजे तक भद्रा समाप्त हो जाएगा. जिस कारण आप प्रदोष काल शाम के समय में 6 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट के बीच होलिका दहन कर सकते हैं. वहीं, होलिका दहन के दिन शुभ योगों में से सर्वोत्तम योग सर्वार्थ सिद्धी योग भी लगा हुआ है.
यह भी पढ़ें: कैमूरः होली के बाजार पर दिख रहा कोरोना का असर, सुस्त पड़ा कारोबार
क्या है होली की पूजा विधि
रंगवाली होली के दिन पितरों और देवताओं का पूजन करें. होलिका की राख की वंदना करके उसे अपने शरीर में लगा लें. इसके बाद भूमि को प्रणाम कर अपने सभी पितरों को नमन करते हुए ईश्वर से सुख-समृद्धि की कामना करें.
यह भी पढ़ें: कोरोना के असर से फीका पड़ा होली का बाजार, कम है गुलाल और पिचकारी की मांग
कैसे करें होलिका पूजन
होलिका पूजन घर पर या फिर सार्वजानिक स्थल पर जाकर किया जाता है. ज्यादातर लोग अपने घर पर पूजा ना करके सार्वजानिक स्थल पर ये पूजा करते हैं. सभी लोग मंदिर या चौराहे पर कंडो, गुलरी और लकड़ी से होलिका सजाते हैं.
- एक थाली में साबुत हल्दी, माला, रोली,फूल, चावल, मुंग, बताशे, कच्चा सूत, नारियल, नई फसल की बालियांऔर एक लोटा जल लेकर बैठें.
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें, सबसे पहले भगवान गणेश का समरण करें
- इसके बाद भगवान नरसिंह को याद करते हुए गोबर से बनी हुई होलिका पर हल्दी, रोली, चावल, मुंग, बताशे अर्पित करें फिर होलिका पर जल चढ़ाएं.
- इसके बाद होलिका के चारो और परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटे, यह परिक्रमा सात बार करें.
- होलिका पर प्रह्लाद का नाम लेकर फूल अर्पित करें और फिर भगवान को याद करते हुए नए अनाज की बालियां अर्पण करें.
- अंत में अपना और अपने परिवार का नाम लेकर प्रसाद चढ़ाएं और होलिका दहन के समय होलिका की परिक्रमा करें और उन पर गुलाल डालें.
- इसके बाद अपने बड़ों के पैरों में गुलाल डाल कर उनका आशीर्वाद लें.
यह भी पढ़ें: पटना: होली को लेकर दानापुर आरपीएफ अलर्ट, ट्रेनों में हो रही विशेष चेकिंग