पटनाःमकरसंक्रांति के मौके पर गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है. लेकिन राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सूख चुके हैं. जिसकी वजह से नए साल के आगमन पर भी लोग यहां स्नान नहीं कर सके और न ही पहले की तरह घाट पर दही-चूड़ा का आनंद ले सके.
आस्था की डुबकी लगाने वाले हुए मायूस
हम बात कर रहे हैं पटना सिटी के ऐतिहासिक भद्र घाट की. जहां मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती थी. लेकिन बुधवार को गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वाले लोग बहुत मायूस हो गये. जब लोग वहां पहुंचे तो देखा कि गंगा में पानी ही नहीं है. चारो ओर रेत ही रेत है. मानो जैसे गंगा हमसे रूठ गई हो. चारो ओर गंगा में रेत निकली हुई है, पानी की जगह कीचड़ जमा हुआ है.
टापू में तब्दील हुआ ऐतिहासिक भद्र घाट
दरअसल मकरसंक्रांति के मौके पर श्रद्धालु गंगा में स्नान कर दही-चूड़ा और तिल ब्राह्मणों को दान करते थे. उसके बाद दही-चूड़ा और तिल का स्वाद लेते थे. लेकिन बुधवार को मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा की स्तिथि देख श्रद्धालुओं के मन काफी चिंतित और दुखी हो गया. राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सुख चुके हैं और पूरी तरह टापू में तब्दील हो चुके हैं.