पटनाः मकर संक्रांति में दही चूड़ा के साथ खिचड़ी का विशेष महत्व होता है. बिहार के राजनीतिक गलियारे में भी खरमास के बाद खिचड़ी पकने वाली है. इसकी तैयारी हो रही है. जिस आग पर खिचड़ी पक रही है उसे हवा दे रहा है हरिवंश का बिहार दौरा. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश इन दिनों बिहार दौरे पर हैं. नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात होने की बात सामने आ रही है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि 2017 में जब नीतीश कुमार ने पाला बदला था तो उस समय भी हरिवंश ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
नीतीश और एनडीए के बीच बन सकते हैं सेतुः हरिवंश जदयू के राज्यसभा सांसद हैं. उनको राजनीति में लाने का श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है. दो बार से जदयू के राज्यसभा सांसद हैं. नीतीश कुमार के साथ तो उनकी नजदीकियां स्वाभिक है, लेकिन कहा यह भी जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनको पसंद करते हैं. हरिवंश जदयू की बैठकों में शामिल नहीं होते हैं और इसको लेकर उन पर आरोप भी लगता रहा है. लेकिन, इसके बाद भी नीतीश कुमार ने अब तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं की है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हरिवंश नीतीश कुमार के लिए एनडीए में जाने के लिए सेतु का काम कर सकते हैं.
"नीतीश कुमार को लेकर चर्चा है कि एनडीए में फिर से आ सकते हैं, तो कुछ लोग कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन में ही रहेंगे. नीतीश कुमार के पाला बदलने की जब बात होती है तो हरिवंश जी की चर्चा होने लगती है. हरिवंश जी की पुरानी मित्रता रही है. जदयू कोटे से ही राज्यसभा में गए. बीजेपी के साथ भी उनकी मित्रता है, ऐसे में नीतीश कुमार यदि एनडीए में आते हैं तो उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है और एक सेतु का काम कर सकते हैं."- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विश्लेषक
राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं हैः जदयू के नेता फिलहाल नीतीश कुमार के पाला बदलने की बात से इनकार कर रहे हैं. जदयू संसद चंदेश्वर सिंह चंद्रवंशी का कहना है हम लोग भी चर्चा ही सुन रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे हम लोग उनके साथ रहेंगे. वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता भीम सिंह का कहना है कि बिहार में कुछ भी होता है तो पूरे देश में हलचल मचने लगता है. जहां तक नीतीश कुमार के एनडीए में आने की बात है तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. लेकिन, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही कह दिया है कि नीतीश कुमार के लिए अब बीजेपी का दरवाजा बंद है. लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. ऐसे इन सब पर शीर्ष नेता ही फैसला लेंगे. इन मामलों में हम लोग बोलने के लिए उपयुक्त नहीं हैं.